आज दिनांक २७.०२.२०२० को सुबह ११ बजे भारतीय जन क्रान्ति दल के राष्ट्रीय कार्यालय चाँद पुर बेला , पटना में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अजय वर्मा की अध्यक्षता में क्रांतिकारी वीर-सपूतों पंडित चंद्रशेखर आजाद की ८९ वी पूण्यतिथि मनाई गई | पुण्यतिथि के अवसर पर पार्टी की और से श्रधांजली सभा का आयोजन किया गया| इस सभा में पंडित चंद्रशेखर आजाद जी के चित्रों पर माल्यार्पण कर तथा दीप प्रज्वलित कर उन्हें भावभीनी श्रधान्जली दी गई | कार्यक्रम का संचालन डा. राकेश दत्त मिश्र राष्ट्रीय महासचिव भारतीय जनक्रांति दलने किया, कार्यकर्ताओ को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अजय वर्मा ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश के कई क्रांतिकारी वीर-सपूतों की याद आज भी हमारी रुह में जोश और देशप्रेम की एक लहर पैदा कर देती है. एक वह समय था जब लोग अपना सब कुछ छोड़कर देश को आजाद कराने के लिए बलिदान देने को तैयार रहते थे और एक आज का समय है जब अपने ही देश के नेता अपनी ही जनता को मार कर खाने पर तुले हैं. देशभक्ति की जो मिशाल हमारे देश के क्रांतिकारियों ने पैदा की थी अगर उसे आग की तरह फैलाया जाता तो संभव था आजादी हमें जल्दी मिल जाती.
हरीश नन्दन, रमेश कुमार, सुरेश सिंह, अविनाश कुमार आदि उपस्थित थें|
वीरता और पराक्रम की कहानी हमारे देश के वीर क्रांतिकारियों ने रखी थी वह आजादी की लड़ाई की विशेष कड़ी थी जिसके बिना आजादी मिलना नामुमकिन था.
राष्ट्रीय महासचिव डॉ मिश्र ने कहाकि हुतात्मा आजाद देशप्रेम, वीरता और साहस की एक ऐसी ही मिशाल थे चन्द्रशेखर आजाद जी . 25 साल की उम्र में भारत माता के लिए शहीद होने वाले इस महापुरुष के बारें में जितना कहा जाए उतना कम है. आज ही के दिन साल 1931 में इलाहबाद में देश के एक नेता के गद्दारी के कारण चन्द्रशेखर आजाद शहीद हुए थे. 27 फ़रवरी, 1931 के दिन चन्द्रशेखर आज़ाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ बैठकर प्रयाग के मैदान में विचार–विमर्श कर रहे थे तभी वहां अंग्रेजों ने उन्हें घेर लिया. चन्द्रशेखर आजाद ने सुखदेव को तो भगा दिया पर खुद अंग्रेजों का अकेले ही सामना करते रहे. अंत में जब अंग्रेजों की एक गोली उनकी जांघ में लगी तो अपनी बंदूक में बची एक गोली को उन्होंने खुद ही मार ली और अंग्रेजों के हाथों मरने की बजाय खुद ही आत्महत्या कर ली. कहते हैं मौत के बाद अंग्रेजी अफसर और पुलिसवाले चन्द्रशेखर आजाद की लाश के पास जाने से भी डर रहे थे.
राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री राजीव झा ने कहाकि चंद्रशेखर आज़ाद जी वेष बदलने में बहुत माहिर थे. वह रुसी क्रांतिकारियों की कहानी से बहुत प्रेरित थे. चन्द्रशेखर आजाद की वीरता की कहानियां कई हैं जो आज भी युवाओं में देशप्रेम की लहर पैदा कर देती हैं. देश को अपने इस सच्चे वीर स्वतंत्रता सेनानी पर हमेशा गर्व रहेगा. उन्हीं की याद में हमारी पार्टी हर साल श्रधान्जली सभा का आयोजन करती है और भविष्य में भी करती रहे गी |
भारतीय जनक्रांति दल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री भोला झा ने कहा कि क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद एक अचूक निशानेबाज थे आजाद ने अपना पावन शरीर मातृभूमि के शत्रुओं को फिर कभी छूने नहीं दिया. क्रांति की जितनी योजनाएं बनीं सभी के सूत्रधार आजाद थे. कानपुर में भगत सिंह से भेंट हुई. साथियों के अनुरोध पर आजाद एक रात घर गए और सुषुप्त मां एवं जागते पिता को प्रणाम कर कर्तव्यपथ पर वापस आ गए. सांडर्स का वध-विधान पूरा कर राजगुरु, भगतसिंह और आजाद फरार हो गए. 8 अप्रैल 1929 को श्रमिक विरोधी ट्रेड डिस्प्यूट बिल का परिणाम सभापति द्वारा खोलते ही, इसके लिए नियुक्त दर्शक-दीर्घा में खड़े दत्त और भगत सिंह को असेंबली में बम के धमाके के साथ इंकलाब जिंदाबाद का नारा बुलंद करते गिरफ्तार कर लिया गया. भगत सिंह को छुड़ाने की योजना चन्द्रशेखर ने बनाई, पर बम जांचते वोहरा सहसा शहीद हो गए. घर में रखा बम दूसरे दिन फट जाने से योजना विफल हो गई. हमारी आजादी की नींव में उन सूरमाओं का इतिहास अमर है जिन्होंने हमें स्वाभिमानपूर्वक अपने इतिहास और संस्कृति की संरक्षा की अविचल प्रेरणा प्रदान की है.
श्रधांजलि सभा में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय वर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भोलाझा , राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजीव झा, प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह ,प्रदेश महासचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, सदस्य राजकिशोर सिंह , संजय पाठक , दिलीप कुमार , लक्ष्मण पाण्डेय , संतोष कुमार , राजीव रंजन , अखिलेश झा,
हरीश नन्दन, रमेश कुमार, सुरेश सिंह, अविनाश कुमार आदि उपस्थित थें|