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LIC की बिक्री को लेकर है चिंता! ये जानकारी आपके बहुत काम की है

LIC की बिक्री को लेकर है चिंता! ये जानकारी आपके बहुत काम की है

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट में ऐलान किया कि सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का एक हिस्सा IPO के माध्यम से बेचेगी. इसके बाद से ही एलआईसी काफी चर्चा में है.

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) शनिवार से ही खूब चर्चा में है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में ऐलान किया है कि सरकार इसकी हिस्सेदारी बेचेगी. इसके बाद ही लोगों में इस बारे में काफी जिज्ञासा, आशंका और भ्रम है. यहां हम ऐसी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहे हैं, जिनसे आपकी कई शंकाएं दूर हो सकती हैं.
भारत का सबसे बड़ा IPO होगा!
सरकार अगले वित्त वर्ष में एलआईसी का आईपीओ लेकर आएगी. यह भारतीय शेयर बाजार के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है. इसके पहले सबसे बड़ा आईपीओ सरकारी कंपनी कोल इंडिया का था, जिसने साल 2010 में  15,200 करोड़ रुपये जुटाए थे.
बेचने की ये वजह बताई निर्मला ने
एलआईसी को बेचने के पीछे अपने तर्क देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'स्टॉक एक्सचेंज में किसी कंपनी की लिस्ट‍िंग से उसमें अनुशासन आता है और इससे उसे वित्तीय बाजार में जाकर अपने वैल्यू का फायदा उठाने में मदद मिलती है. इससे छोटे निवेशकों को भी कंपनी से लाभ उठाने का मौका मिलता है. सरकार इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के द्वारा एलआईसी में अपना कुछ हिस्सा बेचने का प्रस्ताव रखती है.'  
सरकार की अभी LIC में है इतनी हिस्सेदारी
गौरतलब है कि अभी एलआईसी में सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है. मीडिया की खबरों की मानें तो सरकार इसमें से 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सा नहीं बेचने वाली है.
कब आएगा IPO?
एलआईसी का आईपीओ अगले वित्त वर्ष यानी 2020-21 की दूसरी छमाही में यानी सितंबर 2020 के बाद ही आएगा.
संसद से लेनी होगी मंजूरी 
एलआईसी को अभी एलआईसी एक्ट 1956 के द्वारा संचालित किया जाता है, इसलिए आईपीओ लाने से पहले इस एक्ट में भी बदलाव करना होगा और इस निगम का पूंजीगत ढांचा बदलना पड़ेगा. यानी इसके विनिवेश और आईपीओ क‍े लिए संसद से मंजूरी लेनी होगी.
रिलायंस को पीछे छोड़ बनेगी नंबर एक कंपनी!
यह सूचीबद्ध होने के बाद बाजार पूंजीकरण के लिहाज से रिलायंस, टीसीएस आदि को छोड़ते हुए भारत की सबसे बड़ी कंपनी बन सकती है. जानकारों का मानना है कि एलआईसी को 8 से 10 लाख करोड़ रुपये का वैल्यूएशन मिल सकता है. अभी भारतीय शेयर बाजार की नंबर एक कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 8.83 लाख करोड़ रुपये के आसपास है.
क्या होगा प्रीमियम पर असर
आईपीओ आने से एलआईसी के मौजूदा ग्राहकों या नए ग्राहकों के प्रीमियम पर शायद ही कोई असर पड़ेगा. एलआईसी का प्रीमियम पहले से ही बाजार के मुकाबले कई मामलों में ज्यादा है. निजीकरण और प्रतिस्पर्धा बढ़ने की वजह से उसे अपना प्रीमियम प्रतिस्पर्धी रखना होगा. समय-समय पर इरडा की इजाजत से कंपनियां प्रीमियम बढ़ाती हैं और तब जैसे सभी बढ़ाती हैं, एलआईसी भी प्रीमियम बढ़ा सकती है. लेकिन इसका आईपीओ से कोई मतलब नहीं है.
क्यों बेचना चाहती है मोदी सरकार
असल में मोदी सरकार राजस्व की तंगी से जूझ रही है और इसके लिए अब विनिवेश यानी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने की निर्भरता बढ़ गई है. वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार ने विनिवेश से 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. सरकार एलआईसी में हिस्सेदारी बेचकर करीब 70,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही है.
क्या LIC को पैसे की जरूरत है
सच तो यह है कि LIC को पैसे की जरूरत नहीं है. लेकिन यह जिस तरह से सरकार के लिए संकटमोचन बन रही है, उससे आगे चलकर कभी न कभी ऐसी स्थ‍िति आ सकती है, जब इसे पूंजी की जरूरत पड़ सकती है. भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है. पॉलिसी संख्या के हिसाब से उसकी बाजार हिस्सेदारी 76.28 फीसदी और पहले साल के प्रीमियम के हिसाब से उसकी हिस्सेदारी 71 फीसदी है. साल 2019 में एलआईसी के पास एसेट अंडर मैनेजमेंट रिकॉर्ड 31 लाख करोड़ रुपये का रहा है.
हाल में LIC की हालत खराब हुई है
LIC इसके पहले भी सरकार के लिए संकटमोचन की भूमिका निभाती रही है. एलआईसी ने बड़े पैमाने पर कई सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी खरीदकर उन्हें बचाया है. एलआईसी ने डूब रहे बैंक आईडीबीआई को भी खरीदकर बचाया है. इसके अलावा एलआईसी निजी कंपनियों को भी लोन देती रही है. पिछले पांच साल में एलआईसी का एनपीए करीब दोगुना हो गया है. वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल से सितंबर की छमाही में एलआईसी का एनपीए बढ़कर 6.10 फीसदी तक पहुंच गया है, जबकि पहले एलआईसी का एनपीए औसतन 1.5-2 फीसदी रहा है.

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की हिस्सेदारी बिकने पर जानिए बीमा धारकों पर क्या होगा असर

देश की की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी का IPO  अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आ सकता है। बजट में LIC की हिस्सेदारी की बेचे जाने के ऐलान के बाद बीमाधारकों में तमाम आशंकाएं हैं। उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करते समय इसके पॉलिसीधारकों के हितों की पूरी सुरक्षा का प्रबंध करेगी। गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण में इस बार के अपने बजट भाषण में एलआईसी को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने का प्रस्ताव किया है। इसका प्रथम सार्वजिनक निर्गम (आईपीओ) अगले वित्त वर्ष में लाया जा सकता है।
एलआईसी के संचालन में पारदर्शिता बढ़ेगी  
ठाकुर ने पीटीआई-भाषा से कहा सूचीबद्धता से एलआईसी के संचालन में पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलेगी और शेयर बाजार का विस्तार भी होगा। उन्होंने कहा, ' सरकार ने (एलआईसी को सूचीबद्ध कराने का) एक विचार प्रस्तुत किया है। ब्योरा बाद में आएगा और यह एलआईसी और इसके पालिसीधारकों के हक में ही होगा।
2.10 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य 
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एलएआईसी के शेयरों की बिक्री की योजना जब तैयार हो जाएगी तो इसका विवरण सबके सामने आ जायेगा। सरकार ने अगले वित्त वर्ष 2020-21 में 2.10 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है। जिसमें से करीब आधा पैसा एलआईसी और आईडीबीआई बैंक के शेयरों की बिक्री से आ सकता है। एलआईसी के पूरे के पूरे शेयर अभी सरकार के हाथ में है। आईडीबीआई बैंक में सरकार का हिस्सा 46.5 प्रतिशत है।
ठाकुर ने 2020-21 के बजट को 'जन-जनका बजट बताया। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुना करना सरकार की अगले दो साल की बड़ी प्राथमिकता है। किसान रेल और किसान उड़ान से जल्दी खराब होने वाली कृषि उपजों को देश में एक कोने से दूसरे कोने में शीध्रता से पहुंचाने की सुविधा की जाएगी। इससे किसानों का फायदा होगा।   सरकार ने कृषि कर्ज का लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। 
उन्होंने कहा कि बजट में स्टार्टअप, शिक्षा, कौशल विकास जैसे कई कार्यक्रमों से युवाओं के लिए अवसर बढ़ेगे। सरकार लघु और मझौले क्षेत्र के उद्यमों की कर्ज की समस्या को देखते हुए संकटग्रस्त ऋण खातों के पुनर्गठन के लिए दिए गए अवसर को एक साल के लिए बढ़ा कर 31 मार्च 2021 तक जारी रखने का अनुरोध किया गया है। 
LIC के IPO  को लेकर बड़ी खबर आ रही है. सरकार ने BUDGET 2020 में इसका ऐलान किया था. सरकारी सूत्र के मुताबिक LIC का IPO 2012 में आएगा. वित्त सचिव राजीव कुमार के मुताबिक करीब 2 दशकों से प्राइवेट बीमा कंपनियां इसे टक्कर देने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन जीवन बीमा क्षेत्र में यह डॉमिनेंट प्‍लेयर है.
फाइनेंस मिनिस्‍टर निर्मला सीतारमण ने शनिवार को 2020-21 का बजट पेश करते हुए ऐलान किया था की अगले कारोबारी साल में LIC का IPO लाया जाएगा. वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि सूचीबद्धता के लिए कई प्रक्रियाओं को पूरा करने की जरूरत होगी. LIC को सूचीबद्ध कराने के लिए कुछ विधायी बदलावों की भी जरूरत होगी. 
राजीव कुमार के मुताबिक वे सूचीबद्ध की प्रक्रिया का पालन करेंगे. विधि मंत्रालय के साथ बातचीत में जरूरी विधायी बदलाव किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि LIC की सूचीबद्धता से ज्यादा पारर्दिशता आएगी और सार्वजनिक भागीदारी बढ़ेगी. वित्त मंत्री के ऐलान के बाद अब एलआईसी के शेयर बाजार में लिस्ट होने का रास्ता साफ दिख रहा है. हालांकि इसके लिए संसद की मंजूरी लेनी पड़ेगी. बता दें कि एलआईसी के आईपीओ लाने की चर्चा लंबे समय से चल रही है, लेकिन पिछले साल खुद एलआईसी से इससे इनकार किया था.
कुमार के मुताबिक सरकार LIC की 10 फीसदी हिस्‍सेदारी बेचेगी. हालांकि, अभी इस पर कोई फैसला नहीं किया गया है. सरकार ने अगले कारोबारी साल में विनिवेश से 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. मोदी सरकार की मंशा एलआईसी और आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बिक्री से 90,000 करोड़ रुपये जुटाने की है.
बाजार विनियामक सेबी के मानक के अनुसार, IPO में 4,000 करोड रुपये से ऊपर की पोस्ट इश्यू वाली कंपनियों के लिए आवश्यक ऑफर कम से कम 10 फीसदी है. इसके बाद कंपनियां IPO में हिस्सेदारी 25 फीसदी से कम करने वाली कंपनियों को न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी मानक का अनुपालन करने के लिए 3 साल का समय दिया जाएगा.
LIC को सूचीबद्ध करने के संबद्ध विस्तृत जानकारी दिए बगैर कुमार ने बताया कि एलआईसी को बाजार में सूचीबद्ध करने के लिए कानून में बदलाव किया जाएगा और जरूरी बदलाव के लिए कानून मंत्रालय को सूचित किया जाएगा.
उधर, बजट में घोषणा की गई है कि आईडीबीआई से सरकार पूरी तरह बाहर होगी और यह एक निजी बैंक होगा. इस संबंध में कुमार से मिले संकेत के अनुसार, एलआईसी के सूचीबद्ध किए जाने से पहले सरकार आईडीबीआई से बाहर होगी. एलआईसी भारत की सबसे बड़ी वित्तीय संस्थान है जिसकी कुल निवेश परिसंपत्ति 30 सितंबर को 320 खरब रुपये थी.