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महिलाएं ही एक स्वस्थ और प्रगतिशील राष्ट्र का मुख्‍य आधार हैं -डॉ. हर्षवर्धन (केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री)

महिलाएं ही एक स्वस्थ और प्रगतिशील राष्ट्र की नींव हैं
या
एक स्वस्थ और प्रगतिशील राष्ट्र की बुनियाद हैं महिलाएं
अथवा
महिलाएं ही एक स्वस्थ और प्रगतिशील राष्ट्र का मुख्‍य आधार हैं

-डॉ. हर्षवर्धन (केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री)

21वीं सदी में भारत की गाथा अभूतपूर्व विकास और नवाचार को बयां करती है। स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में तो हमने बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में पोलियो का सफाया कर दिया है। यही नहींहमें वैश्विक लक्ष्य की तय समय सीमा से पहले ही मातृ और नवजात शिशु संबंधी टिटनेस के उन्मूलन का प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया है। ये दो अत्‍यंत महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। हमारी विकास गाथा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ महिलाओं का बहुमूल्‍य योगदान हैजिन्होंने हमारे समाज और हमारी दक्षता को असीम तरीकों से विशिष्‍ट स्‍वरूप प्रदान किया है। वे दरअसल सरकार के लिए एक प्राथमिकता हैं जो अपनी नीतियों और विशिष्‍ट पहलों के माध्यम से उनके लिए एक प्रगतिशील भविष्य सुनिश्चित कर रही है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्‍ल्‍यूद्वारा लागू किए जाने वाले कार्यक्रमयोजनाएं और पहल जन्म से लेकर किशोर एवं वयस्क होने तक महिलाओं के हितों का पूरा ध्‍यान रखती हैंजिसे जीवन चक्र’ दृष्टिकोण के रूप में जाना जाता है। टीकोंसामुदायिक (फ्रंटलाइन) स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को घर-घर भेजनापोषण (पूरे जीवन चक्र के दौरान) की ठोस व्‍यवस्‍था स्वस्थ बचपन सुनिश्चित करने के लिए की जाती है और फि‍र ठीक उसके बाद से ही मासिक धर्म स्वच्छता कार्यक्रमसाप्ताहिक आयरन एंड फोलिक एसिड योजना (विफ्स) और साथिया (सहकर्मी शिक्षक) जैसे किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। इसके बाद विवाहित महिलाओं को परिवार नियोजन सेवाओं के साथ-साथ गर्भ निरोधकों के अनेक विकल्‍प मुहैया कराए जाते हैं और अंतत: प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए)सुरक्षित मातृत्व आश्‍वासन (सुमन)लक्ष्‍य (लेबर रूम की गुणवत्ता में सुधार की पहल) और मिड-वाइफरी सेवाओं जैसे विशिष्‍ट कार्यक्रमों के जरिए गर्भावस्था एवं बच्चे के जन्म से जुड़ी विशेष देखभाल सुनिश्चित की जाती है। सभी को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने संबंधी मंत्रालय की प्रतिबद्धता  को ध्‍यान में रखते हुए आयुष्मान भारत - स्वास्थ्य और आरोग्‍य (वेलनेस) केंद्रों (एबी-एचडब्ल्यूसी) के माध्यम से स्तन एवं गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच की सुविधा महिलाओं को नि:शुल्‍क उपलब्ध कराई जाती है।
जून, 2016 में शुरू किए गए पीएमएसएमए’ का लक्ष्‍य सभी गर्भवती महिलाओं को हर महीने की 9 तारीख को सुनिश्चितव्यापक और गुणवत्तापूर्ण  प्रसव-पूर्व देखभाल सेवाएं नि:शुल्‍क मुहैया कराना हैजो प्रसव-पूर्व देखभाल सेवाओं (जांच और दवाओं सहित) का एक न्यूनतम पैकेज है। इस अभियान में सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों में विशेषज्ञ देखभाल के लिए स्वयंसेवकों के रूप में निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा सेवाएं देना भी शामिल है। अब तक 2.38 करोड़ से भी अधिक गर्भवती महिलाओं को पीएमएसएमए’ के तहत प्रसव-पूर्व देखभाल सेवाएं प्राप्‍त हो चुकी हैं और 12.55 लाख से भी अधिक उच्च-जोखिम वाली गर्भावस्था की पहचान की जा चुकी है।  
लेबर रूम और मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटरों में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए दिसंबर 2017 में लक्ष्‍य’ को लॉन्‍च किया गया था जिसका उद्देश्य लेबर रूम और मैटरनिटी ऑपरेशन थियेटर (ओटी) में प्रसव (डिलीवरी) के समय रोकी जा सकने वाली मातृ एवं नवजात मृत्यु दररुग्णता और गर्भ में ही शिशु की मृत्‍यु दर में कमी करना है। इसका एक अन्‍य उद्देश्‍य यह सुनिश्चित करना है कि गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान और प्रसव के तत्काल बाद सम्मानजनक एवं सर्वोत्तम स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सेवाएं प्राप्त हों। अब तक 506 लेबर रूम एवं 449 मैटरनिटी (प्रसूति) ऑपरेशन थिएटर राज्य प्रमाणित हैं और 188 लेबर रूम एवं 160 मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर राष्ट्रीय स्तर पर लक्ष्‍य’ के तहत प्रमाणित हैं। न केवल लेबर रूमबल्कि अत्याधुनिक मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य (एमसीएचप्रकोष्‍ठों को जिला अस्पतालों/जिला महिला अस्पतालों के साथ-साथ उप-जिला स्तर पर ज्‍यादा संख्‍या में प्रसव कराने वाले अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य सेवा केंद्रों में भी मंजूरी दी गई है। इन्‍हें गुणवत्तापूर्ण प्रसूति और नवजात शिशु देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए एकीकृत स्‍वास्‍थ्‍य सेवा केंद्रों के रूप में स्‍वीकृति दी गई है। अब तक 42,000 से भी अधिक अतिरिक्त बिस्‍तरों (बेड) वाले 650 विशिष्‍ट एमसीएच प्रकोष्‍ठों को मंजूरी दी गई है।  
महिलाओं के लिए नवीनतम कार्यक्रम 10 अक्टूबर 2019 को शुरू की गई सुमन पहल है। इस पहल का उद्देश्य सुनिश्चितसम्मानितसम्मानजनक और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं नि:शुल्‍क मुहैया कराना है। यही नहींइसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाने वाली प्रत्येक महिला और नवजात शिशु को सेवाओं से वंचित करने पर जीरो टॉलरेंस’ का प्रावधान हैताकि किसी भी माता एवं नवजात शिशु की मृत्यु की नौबत यथासंभव न आए एवं रुग्णता को समाप्त किया जा सके और इसके साथ ही शिशु के जन्म के समय सकारात्मक माहौल का अनुभव हो सके। सुमन के तहत मातृ और नवजात शिशु के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी मौजूदा योजनाओं को एक समग्र कार्यक्रम के अंतर्गत लाया गया हैताकि यह एक ऐसी व्यापक और सामंजस्यपूर्ण पहल का रूप ले सके जो विभिन्‍न तरह की सहायता देने से परे जाकर सहायता से जुड़ी सेवा की गारंटी देती है।
सभी को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की दिशा में आगे बढ़ते हुए ‘एबी-एचडब्ल्यूसी के तहत 30 साल से अधिक की उम्र वाले सभी लोगों में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) यथा मधुमेहउच्च रक्तचाप और तीन प्रकार के आम कैंसर (मुंहस्तन और गर्भाशय ग्रीवा) की जांच की जाती है। महिलाओं में स्तन कैंसर एवं गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच की जा रही है। अब तक 1.03 करोड़ से भी अधिक महिलाओं में स्तन कैंसर की जांच की गई है तथा 69 लाख से भी अधिक महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच की गई है।  
इस तरह के कार्यक्रमों एवं सुविधाओं के लिए कुशल मानव संसाधन की आवश्यकता होती है। इसे ध्‍यान में रखते हुए वर्ष 2015 में दक्षता’ के नाम से एक राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया। यह डॉक्टरोंस्टाफ नर्सों और एएनएम सहित सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के कौशल निर्माण के लिए एक रणनीतिक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कैप्सूल है जिसका उद्देश्‍य प्रसव पीड़ा से लेकर शिशु के जन्‍म तक से जुड़ी समस्‍त गुणवत्‍तापूर्ण देखभाल सेवाओं का समुचित प्रशिक्षण देना है। अब तक 16,400 स्वास्थ्य सेवा प्रदाता दक्षता प्रशिक्षण प्राप्त कर चके हैं।  
हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करने और गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं के लिए सम्मानजनक देखभाल सुनिश्चित करने के लिए देश में मिडवाइफरी सेवा पहल’ शुरू करने का नीतिगत निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य मिडवाइफरी में नर्स प्रैक्टिशनरों का एक कैडर तैयार करना है जो इंटरनेशनल कन्फेडरेशन ऑफ मिडवाइव्स (आईसीएम) द्वारा निर्धारित दक्षताओं के अनुरूप कुशल हों और उन्‍हें समुचित ज्ञान हो तथा वे करुणामय महिला-केंद्रितप्रजननमातृ एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं मुहैया कराने में सक्षम हों। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2014 में दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में दक्ष’ के नाम से पांच राष्ट्रीय कौशल लैब की स्थापना की हैजो राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (एनआईएचएफडब्‍ल्‍यू), लेडी हार्डिंगसफदरजंगजामिया हमदर्द और भारतीय प्रशिक्षित नर्स संघ में कार्यरत हैं। इसी तरह विभिन्न राज्यों जैसे कि गुजरातहरियाणामहाराष्ट्रमध्य प्रदेशपश्चिम बंगालओडिशातमिलनाडुत्रिपुराजम्मू और कश्मीर इत्‍यादि में 104 एकल (स्टैंड-अलोन) कौशल लैब की स्‍थापना की गई हैताकि गुणवत्तापूर्ण आरएमएनसीएच+’ सेवाएं मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के क्षमता निर्माण के साथ-साथ उनका कौशल भी बढ़ाया जा सके। अब तक लगभग 3375 (वित्त वर्ष 2018-19 में 1238) स्वास्थ्य कर्मियों को राष्ट्रीय कौशल लैब में प्रशिक्षित किया गया है और लगभग 33751 (वित्त वर्ष 2018-19 में 7750) स्वास्थ्य कर्मियों को राज्‍य कौशल लैब में प्रशिक्षित किया गया हैजो विभिन्‍न कैडर के हैं और जिनमें नर्सिंग ट्यूटरकौशल लैब प्रशिक्षकप्रोफेसरचिकित्सा अधिकारीइत्‍यादि शामिल हैं।
मंत्रालय के सामूहिक प्रयासों के ये अच्‍छे नतीजे सामने आए हैं: भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी एमएमआर संबंधी नवीनतम विशेष बुलेटिन के अनुसारभारत के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआरमें एक वर्ष में आठ अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट इसलिए अत्‍यंत उल्‍लेखनीय है क्योंकि इसका मतलब यही है कि प्रत्‍येक वर्ष लगभग 2000 और गर्भवती महिलाओं की जान बच रही है। एमएमआर वर्ष 2014-16 के 130/प्रति एक लाख जन्म से घटकर वर्ष 2015-17 में 122/प्रति एक लाख जन्म के स्‍तर पर आ गया है (यानी 6.2% गिरावट हुई है)। इस निरंतर गिरावट की बदौलत भारत वर्ष 2030 की तय समयसीमा से पांच साल पहले ही वर्ष 2025 में एमएमआर में कमी करने संबंधी सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को हासिल करने की राह पर है।  
यह भारत में संस्थागत प्रसव में उल्‍लेखनीय वृद्धि से संभव हुआ हैजो वर्ष 2007-08 के 47% से काफी बढ़कर वर्ष 2015-16 में 78.9% से भी अधिक के उच्‍च स्‍तर पर पहुंच गया है। यह जानकारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) से मिली है। इसके साथ ही सुरक्षित डिलीवरी (प्रसव) भी इसी अवधि में 52.7% से काफी बढ़कर 81.4% के स्‍तर पर पहुंच गई है। जेएसवाई और जेएसएसके जैसी योजनाओं ने इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में योगदान दिया है। जेएसवाई के तहतप्रसव के लिए किसी सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में जाने वाली गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र में पूरी नकद राशि एक ही बार में दे दी जाती है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसकेके तहत सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में बिल्कुल मुफ्त और बिना किसी खर्च के प्रसव के लिए प्रेरित किया जाता है