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धरती पर भगवान भास्कर के महल मे सन्नाटा -- ?

 धरती पर भगवान भास्कर के महल मे सन्नाटा -- ?




विनय मिश्र ,देव औरंगाबाद , बिहार 
शनि, राहु, केतु ने करोना रुप धारण कर - धर्म को ग्रस लिया! काटता सन्नाटा देव धाम को अचंभित कर रहा है ।
जीव तो जीव जड़ भी शून्य को निहारता रह रहा है ! मनुष्य -- मनुष्यता को मुँह दिखाने के काबिल नही रहा। इतिहास के साथ भुगोल को प्रभावित करती यह घटना -- हमारी महत्वाकांक्षा के कलुषित पाप को उजागर करती है। यह महामारी झूठे सभ्यता के आडंबर को चिढ़ाती नजर आ रही है। सारे विज्ञान चक्रव्यूह रक्षा सुरक्षा बड़े बड़े ओहदेदार सब के सब असमर्थ। प्राणों के चीरहरण पर बिल्कुल मौन। ये सभा भी एक खांडवप्रस्त प्रस्तावित कर रही है। जिसे नगर बनने से पहले जलना ढ़हना तड़पना और मरना होगा। बाद की किस ने देखी है। छह महीने पहले ही देव मे जो हुआ वह पहले हजारों बरस मे न हुआ था। प्रकृति के राजा ने आगाह किया था। पर कलयुगी व्यसन मे व्यस्त शैतानी दिमाग का स्वामी ये लालची आदमी अपनी झोली भरने सत्य को छुपाने अव्यवस्था के लाश को ढकने मे ही मशगूल रहा। नतीजा ----वर्ष का राजा बनते शनि ने न्याय कर डाला।
देव - धाम - प्रेयर प्लेस ( चर्च) - बड़े से बड़ा सबसे बड़ा इबादतगाह । मठ - गुरुद्वारे - बहाई शांति स्थल और भी जितने ईश्वरीय शक्ति स्थल है सभी ने खुद को बंद कर --
मानवता से मुँह मोड़ लिया है। केवल घोर पाप के कारण -
और इसमें हम सभी शामिल है। सियासत तो शैतान का सगा है । हम भी कोई कम नही हमने खुले आँखों से धर्म को ठगा हैं। दो पेड़े और अगरबत्ती के धूंये पर। नतीजा हमारा पुण्य ही धुवाँ धुवाँ हो गया है । इस एक घटना ने इतिहास भुगोल और समाजशास्त्र पर बड़ी भारी चोट की है। लाखों हजारों वर्षो के संगठित सूत्र को झकझोर कर बहुत बड़ी टूटन की टीस दी है समय ने। मैं मामूलीबुद्धि इससे ज्यादा क्या लिख सकता हूँ।
अब सम्भलने को भी नही कह सकता। क्योंकि हम सब अब काल के मुख के समक्ष नहीं काली के जीभ पर पहुंच चूके है।
अब तो ---
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे ..
हरे राम हरे राम ..
राम राम हरे हरे की 🌿 औषधि ही
शायद कुछ बचा पाए ।

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