उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्रियों के साथ आंध्र प्रदेश के किसानों के मुद्दों के बारे में बातचीत की
उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने आंध्र प्रदेश के धान किसानों के सामने आ रही समस्याओं के बारे में आज केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री रामविलास पासवान और केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ विचार-विमर्श किया।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी उपराष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें राज्य में समग्र खरीदारी स्थिति के बारे में जानकारी दी।
श्री नायडू ने उनसे किसानों को देरी से भुगतान, धान किसानों से समय पर खरीदारी न होने और एफसीआई खरीदारी मानदंडों को लागू नहीं करने के बारे में प्राप्त रिपोर्टों पर ध्यान देने के लिए कहा क्योंकि इनसे किसानों को धान की बिक्री में परेशानी हो रही है।
अधिकारियों ने श्री नायडू को आश्वासन दिया कि किसानों और मिल मालिकों की समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार के साथ जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी और साथ ही राज्य सरकार को बकाया राशि का तुरन्त भुगतान कर दिया जायेगा।
उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से भी बातचीत की और उनसे राज्य सरकार को धन की मंजूरी के मुद्दे पर ध्यान देने का अनुरोध किया।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी उपराष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें राज्य में समग्र खरीदारी स्थिति के बारे में जानकारी दी।
श्री नायडू ने उनसे किसानों को देरी से भुगतान, धान किसानों से समय पर खरीदारी न होने और एफसीआई खरीदारी मानदंडों को लागू नहीं करने के बारे में प्राप्त रिपोर्टों पर ध्यान देने के लिए कहा क्योंकि इनसे किसानों को धान की बिक्री में परेशानी हो रही है।
अधिकारियों ने श्री नायडू को आश्वासन दिया कि किसानों और मिल मालिकों की समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार के साथ जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी और साथ ही राज्य सरकार को बकाया राशि का तुरन्त भुगतान कर दिया जायेगा।
उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से भी बातचीत की और उनसे राज्य सरकार को धन की मंजूरी के मुद्दे पर ध्यान देने का अनुरोध किया।
भारतीय वायुसेना और सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के बीच समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर
भारतीय वायुसेना की एक विशिष्ट पहल के रूप में भारतीय वायुसेना और सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (एसपीपीयू) ने रक्षा और रणनीतिक अध्ययन विभाग में उत्कृष्टता की पीठ की स्थापना करने के लिए 26 फरवरी, 2020 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके शैक्षिक सहयोग स्थापित किया है।
वायुसेना के दिग्गज मार्शल को श्रद्धांजलि अर्पित करने तथा एमआईएएफ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में भारतीय वायुसेना ने इस पीठ को "मार्शल ऑफ द एयरफोर्स अर्जन सिंह चेयर ऑफ एक्सीलेंस" का नाम दिया है। यह पीठ वायुसेना के अधिकारियों को रक्षा एवं रणनीतिक अध्ययन और सम्बद्ध क्षेत्रों में डॉक्टरल अनुसंधान एवं उच्च अध्ययन करने में समर्थ बनाएगी।
यह पीठ राष्ट्रीय रक्षा के क्षेत्र और वायु सेना अधिकारियों के संबद्ध क्षेत्रों में अनुसंधान और उच्च अध्ययन की सुविधा प्रदान करेगी। यह पीठ रणनीतिक दृष्टिकोण को विकसित करने तथा रणनीतिक विचारकों के पूल का निर्माण करने में भी मदद करेगी।
इस समारोह की अध्यक्षता एसपीपीयू के कुलपति श्री नितिन करमलकर ने की। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एयर मार्शल अमित देव एवीएसएम, वीएसएम, एयर ऑफिसर-इन-चार्ज कार्मिक, भारतीय वायु सेना थे। इस कार्यक्रम में एयर वाइस मार्शल एल.एन. शर्मा एवीएसएम, एयर स्टॉफ (शिक्षा) के सहायक प्रमुख तथा भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी और विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने भी भाग लिया।
एससीटीआईएमएसटी ने मस्तिष्क के एन्यूरिज्म के उपचार के लिए फ्लो डायवर्टर स्टेंट टेक्नोलॉजी विकसित की
श्री चित्रा थिरुनाल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) तिरुवंतपुरम की अनुसंधान टीम ने रक्त वाहिकाओं के धमनीविस्फार के उपचार के लिए एक अभिनव इंट्राक्रानियल फ्लो डायवर्टर स्टेंट विकसित किया है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। यह जानवरों में स्थानांतरण और परीक्षण के बाद मानव परीक्षण के लिए भी तैयार है।
फ्लो डायवर्टरों को जब एन्यूरिज्म से ग्रस्त मस्तिष्क की धमनी में तैनात किया जात है तब यह एन्यूरिजम से रक्त का प्रभाव बदल देता है, इससे रक्त प्रवाह के दबाव से इसके टूटने की संभावना कम हो जाती है।
इंट्राक्रैनील एन्यूरिज्म एक स्थानीयकृत गुब्बारा है जो रक्त वाहिकाओं की दीवारों की आंतरिक मांसपेशियों के कमजोर पड़ने के कारण मस्तिष्क में धमनियों का उभार या फैलाव है।
एन्यूरिजम के सहज टूटने से मस्तिष्क के चारों ओर रक्तस्राव हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप होने वाली स्थिति को सबराचोनोइड हेमोरेज (एसएएच) कहा जाता है। सबराचोनोइड रक्तस्राव से पक्षाघात, कोमा या मृत्यु हो सकती है।
एन्यूरिज्म के सर्जिकल उपचार में खोपड़ी को खोलकर एन्यूरिज्म की गर्दन पर एक क्लिप लगाई जाती है ताकि रक्त प्रवाह के मार्ग को कट किया जा सके।
मस्तिष्क के धमनी विस्तार के अल्पतम आक्रामक एंडोवसक्यूलर तीन गैर-सर्जिकल इलाज हैं। दो की प्रक्रियाओं में न्यूरिस्मल सेसिस प्लेटिनम क्वॉयल से भरा होता है अथवा गाढ़ापन लिए हुए उच्च तरल पॉलिमर का इस्तेमाल करते हुए इसे भरा जाता है, जो इसे ठोस बनाकर थैली को सील कर देता है। इन सभी तकनीकों की कुछ सीमाएं हैं।
एक अधिक आकर्षित तीसरा कम आक्रामक विकल्प फ्लो डायवर्टर स्टैंट लगाना है ताकि धमनी विस्तार वाले क्षेत्र से रक्त धमनी बाहर-बाहर से निकल सके। फ्लो डायवर्टर धमनी के अनुसार लचीला और स्वीकार करने योग्य हो सकता है। साथ ही फ्लो डायवर्टर रक्त के प्रवाह पर लगातार जोर न देकर धमनी की दीवार को ठीक करता है।
चित्र फ्लो डायवर्टर को जटिल आकार की रक्त वाहिनियों की दीवार पर बेहतर पकड़ के लिए तैयार किया गया है ताकि उपकरण के हटने का खतरा कम हो सके। इसका अनोखा डिजाइन इस स्टैंट को विकुंचन और तोड़ने से रोकता है, जब इसे टेढ़ी-मेढ़ी और जटिल आकार वाली रक्त वाहिनियों मे रखा जाता है। यहां तक कि 180 डिग्री झुकने से भी स्टैंट की पुटी बंद नहीं होती। तारों के हिस्से को एक्सरे में बेहतर तरीके से दिखाई देने के लिए रेडियो अपारदर्शक बनाया गया है।
सुपर इलास्टिक धातु नीटिनॉल को नेशनल एयरो स्पेस लेबोरेट्रिज, बेंगलुरू (सीएसआईआर-एनएएल) से प्राप्त किया गया है। जब इस उपकरण को जगह पर तैनात किया गया, इसे उसके सिकोड़ी गई बंद स्थिति से छोड़ा गया।
आयातित फ्लो डायवर्टर स्टैंट का मूल्य 7-8 लाख रूपये है और इसका निर्माण भारत में नहीं किया जाता। एससीटीआईएमएसटी और एनएएल की नीटिनॉल से स्वदेशी टेक्नोलॉजी उपलब्ध होने के साथ ही, एक सुस्थापित उद्योग काफी कम दाम में इसका निर्माण करने और बेचने में सक्षम होगा। उम्मीद है कि इस उपकरण को जल्दी ही उद्योग को सौंपा जाएगा और इसका व्यावसायिकरण करने से पहले पशुओं और मनुष्यों पर इसका परीक्षण किया जाएगा।
एससीटीआईएमएसटी ने स्टैंट और आपूर्ति प्रणाली के लिए अलग-अलग पेटेंट दायर किए हैं। डॉ. सुजेश श्रीधरन के नेतृत्व में टीम में श्री मुरलीधरन सी.वी., श्री रमेश बाबू (बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी विंग, एससीटीआईएमटीएस), डॉ. जयदेवन ई.आर., डॉ. संतोष कुमार के. (इमेजिंग साइंसेज एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग, अस्पताल विंग, एससीटीआईएमएसटी), श्री राजीव ए., श्री सुभाष कुमार, एम.एस., श्री अंकु श्रीकुमार, सुश्री एन.जे. झाना, श्री श्रीहरि यू. और सुश्री जी.वी. लीजी शामिल थे।
फ्लो डायवर्टरों को जब एन्यूरिज्म से ग्रस्त मस्तिष्क की धमनी में तैनात किया जात है तब यह एन्यूरिजम से रक्त का प्रभाव बदल देता है, इससे रक्त प्रवाह के दबाव से इसके टूटने की संभावना कम हो जाती है।
इंट्राक्रैनील एन्यूरिज्म एक स्थानीयकृत गुब्बारा है जो रक्त वाहिकाओं की दीवारों की आंतरिक मांसपेशियों के कमजोर पड़ने के कारण मस्तिष्क में धमनियों का उभार या फैलाव है।
एन्यूरिजम के सहज टूटने से मस्तिष्क के चारों ओर रक्तस्राव हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप होने वाली स्थिति को सबराचोनोइड हेमोरेज (एसएएच) कहा जाता है। सबराचोनोइड रक्तस्राव से पक्षाघात, कोमा या मृत्यु हो सकती है।
एन्यूरिज्म के सर्जिकल उपचार में खोपड़ी को खोलकर एन्यूरिज्म की गर्दन पर एक क्लिप लगाई जाती है ताकि रक्त प्रवाह के मार्ग को कट किया जा सके।
मस्तिष्क के धमनी विस्तार के अल्पतम आक्रामक एंडोवसक्यूलर तीन गैर-सर्जिकल इलाज हैं। दो की प्रक्रियाओं में न्यूरिस्मल सेसिस प्लेटिनम क्वॉयल से भरा होता है अथवा गाढ़ापन लिए हुए उच्च तरल पॉलिमर का इस्तेमाल करते हुए इसे भरा जाता है, जो इसे ठोस बनाकर थैली को सील कर देता है। इन सभी तकनीकों की कुछ सीमाएं हैं।
एक अधिक आकर्षित तीसरा कम आक्रामक विकल्प फ्लो डायवर्टर स्टैंट लगाना है ताकि धमनी विस्तार वाले क्षेत्र से रक्त धमनी बाहर-बाहर से निकल सके। फ्लो डायवर्टर धमनी के अनुसार लचीला और स्वीकार करने योग्य हो सकता है। साथ ही फ्लो डायवर्टर रक्त के प्रवाह पर लगातार जोर न देकर धमनी की दीवार को ठीक करता है।
चित्र फ्लो डायवर्टर को जटिल आकार की रक्त वाहिनियों की दीवार पर बेहतर पकड़ के लिए तैयार किया गया है ताकि उपकरण के हटने का खतरा कम हो सके। इसका अनोखा डिजाइन इस स्टैंट को विकुंचन और तोड़ने से रोकता है, जब इसे टेढ़ी-मेढ़ी और जटिल आकार वाली रक्त वाहिनियों मे रखा जाता है। यहां तक कि 180 डिग्री झुकने से भी स्टैंट की पुटी बंद नहीं होती। तारों के हिस्से को एक्सरे में बेहतर तरीके से दिखाई देने के लिए रेडियो अपारदर्शक बनाया गया है।
सुपर इलास्टिक धातु नीटिनॉल को नेशनल एयरो स्पेस लेबोरेट्रिज, बेंगलुरू (सीएसआईआर-एनएएल) से प्राप्त किया गया है। जब इस उपकरण को जगह पर तैनात किया गया, इसे उसके सिकोड़ी गई बंद स्थिति से छोड़ा गया।
आयातित फ्लो डायवर्टर स्टैंट का मूल्य 7-8 लाख रूपये है और इसका निर्माण भारत में नहीं किया जाता। एससीटीआईएमएसटी और एनएएल की नीटिनॉल से स्वदेशी टेक्नोलॉजी उपलब्ध होने के साथ ही, एक सुस्थापित उद्योग काफी कम दाम में इसका निर्माण करने और बेचने में सक्षम होगा। उम्मीद है कि इस उपकरण को जल्दी ही उद्योग को सौंपा जाएगा और इसका व्यावसायिकरण करने से पहले पशुओं और मनुष्यों पर इसका परीक्षण किया जाएगा।
एससीटीआईएमएसटी ने स्टैंट और आपूर्ति प्रणाली के लिए अलग-अलग पेटेंट दायर किए हैं। डॉ. सुजेश श्रीधरन के नेतृत्व में टीम में श्री मुरलीधरन सी.वी., श्री रमेश बाबू (बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी विंग, एससीटीआईएमटीएस), डॉ. जयदेवन ई.आर., डॉ. संतोष कुमार के. (इमेजिंग साइंसेज एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग, अस्पताल विंग, एससीटीआईएमएसटी), श्री राजीव ए., श्री सुभाष कुमार, एम.एस., श्री अंकु श्रीकुमार, सुश्री एन.जे. झाना, श्री श्रीहरि यू. और सुश्री जी.वी. लीजी शामिल थे।
36 करोड़ रुपये कीमत के माल पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे के लिए फर्जी रसीदें जारी करने वाली फर्म का भंडाफोड़
सेंट्रल जीएसटी दिल्ली पूर्वी आयुक्तालय के कर वंचना अधिकारियों ने सर्कुलर कारोबार के एक प्रमुख संचालन का भंडाफोड़ किया है। इसके तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट के फर्जी पुनर्भुगतान के लिए फर्जी रसीदों का इस्तेमाल किया जाता था। आसिफ खान, राजीव चटवाल और अर्जुन शर्मा 17 फर्जी फर्म चला रहे थे और इन लोगों ने बिना माल की आपूर्ति के रसीदें हासिल की थीं। इस तरह इन लोगों ने 436 करोड़ के बराबर फर्जी तौर पर आईटीसी को प्राप्त कर लिया था। गलत आधार पर प्राप्त की गई आईटीसी द्वारा इन लोगों ने 11.55 करोड़ रुपये के पुनर्भुगतान के लिए दावा किया था। आरोपित व्यक्तियों ने फर्जी फर्मों द्वारा भी पुनर्भुगतान का दावा किया था।
आरोपित व्यक्तियों का एक-दूसरे के साथ वैवाहिक संबंध भी है और वे पिछले एक महीने से जांच से बच रहे थे। जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि आरोपित व्यक्ति कुछ बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से हवाला कारोबार में भी लिप्त थे। इन बैंक कर्मचारियों की भी जांच चल रही है। ऊपर जिन 17 फर्मों का उल्लेख किया गया है, वे सिर्फ कागज पर हैं और उनका इस्तेमाल फर्जी रसीदें बनाने को आईटीसी के लिए किया जाता था। दोनों तरफ लेनदेन करने वाली कंपनियों, प्राप्तकर्ता और आपूर्तिकर्ता का कोई अता-पता नहीं है।
धनशोधन के मामले में आरोपित व्यक्तियों से प्रविष्टियां पाने वाले कुछ व्यापारियों की भी जांच चल रही है। यह भी पता लगा है कि पुराने वैट कानून के दौरान भी आसिफ खान इसी तरह की गतिविधियों में लिप्त रहा है। यह भी पता लगा है कि ये तीनों आरोपित व्यक्ति पकड़े जाने के समय अपनी गतिविधियां अन्य राज्यों में फैलाने की भी योजना बना रहे थे।
आसिफ खान, राजीव चटवाल और अर्जुन शर्मा जानबूझकर सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132(1)(बी) और धारा 132 (1)(सी) के तहत अपराध कर रहे थे। यह अपराध सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132 (5) के प्रावधानों के तहत संज्ञेय और गैर-जमानती है तथा अधिनियम की धारा 132 की उपधारा (1) के खंड (i) के तहत सजा योग्य है। यह भी पता लगा है कि आरोपित व्यक्तियों ने अधिनियम की धारा 132(1)(ई) के तहत भी अपराध किया है।
इस अपराध के लिए उपरोक्त व्यक्तियों को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 69 (1) के तहत 1 मार्च, 2020 को गिरफ्तार किया गया और पटियाला हाउस कोर्ट के चीफ-मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने तीनों को 13 मार्च, 2020 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
इस मामले में आगे जांच चल रही है।
आरोपित व्यक्तियों का एक-दूसरे के साथ वैवाहिक संबंध भी है और वे पिछले एक महीने से जांच से बच रहे थे। जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि आरोपित व्यक्ति कुछ बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से हवाला कारोबार में भी लिप्त थे। इन बैंक कर्मचारियों की भी जांच चल रही है। ऊपर जिन 17 फर्मों का उल्लेख किया गया है, वे सिर्फ कागज पर हैं और उनका इस्तेमाल फर्जी रसीदें बनाने को आईटीसी के लिए किया जाता था। दोनों तरफ लेनदेन करने वाली कंपनियों, प्राप्तकर्ता और आपूर्तिकर्ता का कोई अता-पता नहीं है।
धनशोधन के मामले में आरोपित व्यक्तियों से प्रविष्टियां पाने वाले कुछ व्यापारियों की भी जांच चल रही है। यह भी पता लगा है कि पुराने वैट कानून के दौरान भी आसिफ खान इसी तरह की गतिविधियों में लिप्त रहा है। यह भी पता लगा है कि ये तीनों आरोपित व्यक्ति पकड़े जाने के समय अपनी गतिविधियां अन्य राज्यों में फैलाने की भी योजना बना रहे थे।
आसिफ खान, राजीव चटवाल और अर्जुन शर्मा जानबूझकर सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132(1)(बी) और धारा 132 (1)(सी) के तहत अपराध कर रहे थे। यह अपराध सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132 (5) के प्रावधानों के तहत संज्ञेय और गैर-जमानती है तथा अधिनियम की धारा 132 की उपधारा (1) के खंड (i) के तहत सजा योग्य है। यह भी पता लगा है कि आरोपित व्यक्तियों ने अधिनियम की धारा 132(1)(ई) के तहत भी अपराध किया है।
इस अपराध के लिए उपरोक्त व्यक्तियों को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 69 (1) के तहत 1 मार्च, 2020 को गिरफ्तार किया गया और पटियाला हाउस कोर्ट के चीफ-मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने तीनों को 13 मार्च, 2020 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
इस मामले में आगे जांच चल रही है।
राष्ट्रपति ने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सिर्फ डिग्री हासिल करना नहीं है, बल्कि एक अच्छा व्यक्ति बनना भी है। शिक्षा में नैतिक मूल्यों को शामिल करना इसलिए जरूरी है क्योंकि बिना नैतिक मूल्यों के शिक्षा समाज के लिए लाभप्रद नहीं हो सकती। हर विश्वविद्यालय का यह कर्तव्य है कि वह छात्रों में सत्यनिष्ठा, अनुशासन, सहिष्णुता और कानून के प्रति सम्मान का भाव पैदा करे। ऐसा होने पर ही छात्र किसी लोकतांत्रिक देश के सच्चे नागरिक बन सकते हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सिर्फ डिग्री हासिल करना नहीं है, बल्कि एक अच्छा व्यक्ति बनना भी है। शिक्षा में नैतिक मूल्यों को शामिल करना इसलिए जरूरी है क्योंकि बिना नैतिक मूल्यों के शिक्षा समाज के लिए लाभप्रद नहीं हो सकती। हर विश्वविद्यालय का यह कर्तव्य है कि वह छात्रों में सत्यनिष्ठा, अनुशासन, सहिष्णुता और कानून के प्रति सम्मान का भाव पैदा करे। ऐसा होने पर ही छात्र किसी लोकतांत्रिक देश के सच्चे नागरिक बन सकते हैं।