विधवा
गिरीन्द्र
मोहन मिश्र ,
फ़ोटो जर्नलिस्ट
महिला ने जो
विधवा होकर भी बहु का धर्म निभाया,
पुरूष विवाह
कर भी पत्नी को अकारण ही त्यागा.
दोनो में अब
श्रेष्ठ कौन है
वक़्त ही निर्णय करेगा,
गलत का साथ
देने वाला को वक़्त नहीं माफ़ करेगा.
इतिहास लिखने
समय में सत्य असत्य सामने होगा,
वक़्त झूठा
नहीं होगा लेकिन झूठा लताड़ा जायेगा.
झूठ तो लहरा
रहा है,फहरा रहा है और लगाता दौड़,
उसका साथ देने
के लिए सब झूठों में लगा है होड़.
जब सत्य विराट
रुप दिखायेगा झूठ हो जायेगा लोप,
नाम-ओ-निशान
मिट जायेगा चाहे
ढूंढो सर्वलोक.
पर पीड़ा जो
नहीं समझा वो कब मानव कहलाया,
लाशों के बीच
खड़ा होकर नफ़रत का आँच लगाया.
आदत से नहीं
बाज़ आया वो ठहरा झूठों का सरदार,
अन्तकाल में
कोई साथ नहीं देगा जीवन होगा बेकार.
पीठ में खंजर
भोकना जिसके आदत
में हो सुमार,
अन्तकाल में
याद आयेगा खुद का किया अत्याचार.
समय अभी साथ
दिया है तो हो गया नशा में मदमस्त,
जी.एम.पावँ के
नीचे पताल दिखेगा हो जायेगा पस्त.
जीवन मिला है
नेक के लिए चाहे कितनो हो मतभेद,
सच्चा शासक
सर्वहित करता वो नहीं करता है विभेद.