घर पे रहना है
जयराम जय
किसी के बहना है
घर पे रहना है
यह सबसे कहना है
खतरनाक निर्दयी
'वायरस' है आया
चिन्तित है यह सदी
विश्व है थर्राया
आग लगाने वाले
के भी हाथ जले
कैसा है निर्लज्ज
रंच ना शर्माया
चलो बुझायें आग
हमे नहि दहना है
दुनिया में अब वह
महाशक्ति कहलाये
फिर बात -बात में
सबको आँख दिखाये
यही सोच शातिर के
मन में बैठी है
गलत काम करके भी
निष्ठुर हर्षाये
नफरत की दीवार
एक दिन ढ़हनी है
घर के बाहर बहुत
बड़ी बीमारी है
सारी दुनिया जिससे
हारी-हारी है
मिला नहीं उपचार
अभी तक है इसका
चेहरों पर सबके
दिखती लाचारी है
परेशानियां जो भी
आयें सहना है
बाहर निकलें जब हो
यदि काम जरूरी
आपस में रक्खें
सब-जन मानक दूरी
हाथ जोड़कर करें
सभी काअभिवादन
होना मत मायूस
आज है मज़बूरी
कुछ ही दिन की बात
साथ फिर रहना है
बहकावे में नहीं
किसी के बहना है
घर पे रहना है
यह सबसे कहना है
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~जयराम जय
'पर्णिका' बी-11/1,कृष्ण बिहार
कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ,प्र.)