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प्रत्येक गरीब परिवार को छह माह तक अनाज एवं नगद की मदद मिलनी चाहिये

प्रत्येक गरीब परिवार को छह माह तक अनाज एवं नगद की मदद मिलनी चाहिये | डॉ राकेश दत्त मिश्र, राष्ट्रीय महासचिव भारतीय जन क्रान्ति दल |

  • महामारी रोकने से ज्यादा फिक्र है :- रमेश चौबे 

भारतीय जन क्रान्ति दल के राष्ट्रीय कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ राकेश दत्त मिश्र ने कहाकि आज लॉक डाउन को हुए एक महिना से ज्यादा वक्त हो चूका है पूरे देश से इस बात की रिपोर्ट है कि मजदूरों, किसानों, पशुपालकों, मछुआरों, कूड़ा बीनने वालों और निराश्रितों के समक्ष बड़ी दिक्कत है। इनमें अनेक तो भुखमरी तक का सामना कर रहे हैं, क्योंकि लॉकडाउन से उनकी आजीविका छिन गई है। इससे एक और अभूतपूर्व मानवीय संकट पैदा हो गया है, क्योंकि कम बचत वाले लाखों परिवारों के पास आने वाले हफ्तों में भोजन और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं को जुटाने का कोई रास्ता नहीं होगा। इन हालात में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जरूरतमंदों  को उनकी आजीविका के लिए मूलभूत उपाय उपलब्ध कराए। भोजन की उपलब्धता सबसे जरूरी है साथ ही दैनिक जरूरतों के लिए उन्हें नगदी की भी आवश्यकता होती है इसकी भी भरपाई सरकार को ही करनी चाहिए |  संकट की गंभीरता और भूख व गरीबी के फैलने की गंभीर आशंका को देखते हुए सरकार को यह वितरण हर उस व्यक्ति को करना चाहिए, जिसे इसकी जरूरत हो। इसमें मौजूदा सूची या बायोमेट्रिक पहचान को बाधा नहीं बनने देना चाहिए। इसे बांटने का सबसे अच्छा तरीका यह हो सकता है कि इसे घर के दरवाजे पर जाकर दिया जाए या फिर चुनाव की तरह स्याही लगाकर बांटा जाए और नगदी सीधे खाते में हस्तांतरित किया जाना चाहिये जिससे गरीबों को राहत मिल सके|
हमारी केंद्र और राज्य सरकार से माँग है इस विकट परिस्थिति को देखते हुए इस दिशा में जल्द से जल्द अपनी फल कर देश के गरीबों की रक्षा करें नहीं तो स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती चली जाएगी मुझे आशंका है लोग कोरोना से कम डर और भूख से ज्यादा प्रभावित होंगें|
वही पार्टी के प्रवक्ता ने एक प्रेस नोट जारी कर बिहार के मुख्यमंत्री से पूछा है क्या लॉक डाउन में धर्म के आधार पर बिहार में मिल रहा है छूट? पार्टी के प्रवक्ता रमेश चौबे ने विज्ञप्ति जारी कर बिहार सरकार पर गम्भीर आरोप लगाये है उन्हों ने कहाकि बिहार सरकार धर्म के आधार पर राजनीत कर रही है | बिहार सरकार के  एक एसपी द्वारा निकाले गए एक आदेश में  राज्य सरकार के कार्यशैली को साफ तौर पर देखा जा सकता है | उन्हों ने कहाकि इस भयंकर आपदा के वक्त भी श्री कुमार अपने वोट बैंक को मजबूत करने में लगे है उन्हें महामारी से ज्यादा अपने राज्य में होनेवाले चुनाव की चिंता है | बिहार के  सीतामढी जिले के आरक्षी अधीक्षक द्वारा रमजान माह आंरभ होने से ठीक पहले जिले के पुलिस पदाधिकारी के लिए निकाले गए आदेश पत्र 2155 दिनांक 24-4-2020 में लॉक डाउन के दौरान भी रोजेदारों के साथ नरमी बरतने को कहा गया है। मुस्लिम समुदाय शब्द का प्रयोग करते हुए जारी किये गए इस पत्र के बाद क्या यह नहीं लगता बिहार की सरकार मुसलमानों की गुलाम हो चुकी है जिसके कारण आज देश इतने बड़े संकट में आ चूका है उसके लिए बिहार सरकार इतनी बेचैन क्यों? मै बिहार सरकार से पूछना चाहता हूँ जब हिन्दू के प्रमुख त्यौहार रामनवमी तथा नवरात्रि, सिखों के प्रमुख त्यौहार वैसाखी सहित किसी अन्य के लिए ऐसा आदेश जारी नहीं किया गया तो फिर रमजान में क्यों? क्या यही है बिहार सरकार की धर्मनिरपेक्षता ? देश में कोरोना महामारी को लेकर लॉक डाउन के दौरान सीतामढी एसपी के पत्र ने नीतीश सरकार के दोहरी नीति को रेखांकित तो किया हीं है। बिहार में महामारी फैल रहा है और मुख्यमंत्री जी को महामारी रोकने से ज्यादा विधर्मियो  की फिक्र है |