Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

मैं बंजारा

मैं बंजारा(ग़ज़ल)

मुझसे मत पूछो हूं मैं कौन कहां जाऊंगा,
मैं तो बंजारा हूँ न जाने किधर जाऊंगा।
ऐ सनम मैं भी मुसाफिर हूँ तेरी कश्ती का,
तू जहाँ मुझसे कहेगी मैं उतर जाऊंगा।।
तू जो मुझको भुलाना चाहती है ऐ दिलबर,
मैंने भी ठान लिया तुझको भूल जाऊंगा।
कर लिया हमने भी इरादा दूर जाने का ,
सच मैं कहता हूं बहुत दूर चला जाऊंगा।।
अब जरूरत नहीं फरेब यूँ करने की सनम,
मुझसे मत रूठो मैं ना अब तुम्हें मनाऊंगा।
फ़िक्र मत करना मेरे आशियाँ की अब दिल में,
जहाँ ले जाएगी किस्मत मैं चला जाऊंगा।।
जो किया साथ मेरे और के संग ना करना,
मैं तो पी के जहर का घूंट भूल जाऊंगा।
प्यार तेरे लिए दिल में कभी ना कम होगा,
ढाल के गीत गजलों में तुम्हें ही गाऊंगा।।
दर्द जितना है देना दे मैं आह न करूँगा,
देखना टूट के दर्पण सा बिखर जाऊंगा।
रघुवंशी को बस तेरा ही दर्द है सहना,
जितना तू दर्द देगी उतना निखर जाऊंगा।।
©️ राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ