शहर के विकास के लिए योजनाएं खूब बनी। 10 साल पहले 40 लाख खर्च कर मास्टर प्लान तक बनाया। लेकिन हर साल बदलती योजनाओं के बीच पूरा प्लान ठंडे बस्ते में चला गया। पूर्व मेयर वीणा यादव के कार्यकाल में टहल एजेंसी से करार होने से पहले सामान्य बाेर्ड तक ने इसे मंजूर किया था। लेकिन नगर विकास विभाग के लेवल पर रही कमी अब तक पूरी नहीं की जा सकी। जिम्मेदारों ने इसके लिए कभी कोई कवायद तक नहीं की। 2018 में पूर्व नगर आयुक्त श्यामबिहारी मीणा ने इसे स्टडी के लिए स्मार्ट सिटी टीम को दिया, लेकिन यह भी कुछ दिनों बाद ही योजना शाखा की अलमारी में कैद हो गया। अब आलम यह है कि मेयर सीमा साहा, डिप्टी मेयर राजेश वर्मा और उप-नगर आयुक्त सत्येंद्र प्रसाद वर्मा तक को इस प्लान की जानकारी नहीं है। उनका कहना है, उक्त प्लान से जुड़े कर्मचारियों से बात कर व्यवस्था देखेंगे। सोशल ऑडिट के लिए निकली एक्सपर्ट की टीम ने बताया कि मास्टर प्लान लागू होता तो न सिर्फ बारिश में लोगों को आसानी होती, बल्कि शहर भी खूबसूरत होता। लोगों को बेहतर ड्रेनेज सिस्टम, पार्क, ट्रैफिक सिस्टम मिल जाता।
1. ड्रेनेज : वार्डवार सर्वे व आबादी के अनुसार नापी कर नाला बनाना। मानक के मुताबिक आउटफाॅल बनाना। ड्रेनेज की सफाई के लिए मेन हाॅल व अंदर राेशनी की व्यवस्था।
फायदा : सड़कों पर जगह-जगह पानी जमा नहीं होता।
वर्तमान हालत : सभी हथिया नाला के पास बारिश में पानी जमा होता है। सालभर भाेलानाथ पुल पर पानी रहता है।
2. कचरा प्रबंधन: कचरा काे एक जगह डंप करने के बाद उससे बिजली या खाद बनाना। स्थानीय लोगों को रोजगार देना।
फायदा : शहर स्वच्छ होता।
वर्तमान हालत : कचरा प्रबंधन फेल है। शहर में नियमित कचरा नहीं उठाया जा रहा।
3. साैंदर्यीकरण: चाैराहों का साैंदर्यीकरण करना। राेशनी व हर चाैक पर अगले चाैक की जानकारी देना।
फायदा : शहर व्यवस्थित होता, गंतव्य की सूचना मिलती।
वर्तमान हालत : हर चौराहे अस्तव्यस्त हैं। फुटपाथ तक व्यवस्थित नहीं है।
4. फ्लाईओवर: जरूरत के अनुसार फ्लाईओवर बनाना। भाेलानाथ पुल और मुस्लिम हाईस्कूल-हबीबपुर सड़क पर रेलवे लाइन के उपर ब्रिज बनाना।
फायदा: आए दिन लगने वाले जाम से निजात मिलता। सभी सड़क पर वाहनाें के दबाव को बांटा जा सकता था।
वर्तमान हालत: तिलकामांझी-घंटाघर, भीखनपुर, घंटाघर, लाेहिया पुल, भाेलानाथ पुल, स्टेशन चाैक रोज जाम हो रहा है।
5. पार्क : 15-20 हजार की आबादी पर छोटा पार्क बनाना।
फायदा: लोगों को अपने घरों के करीब पार्क मिलने पर बच्चे, वृद्ध व महिलाएं वॉक कर सकतीं।
वर्तमान हालत: एकमात्र बड़ा पार्क जयप्रकाश उद्यान है। दूर से लोग यहां नहीं आ पाते। बच्चों के लिए लाजपत व चिल्ड्रेन पार्क ही विकल्प है।
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source https://www.bhaskar.com/local/bihar/bhagalpur/news/10-years-ago-40-lakhs-were-blown-on-the-master-plan-now-imprisoned-in-the-cupboard-of-the-corporation-far-from-being-implemented-the-officers-do-not-even-know-127424635.html
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