किसको कौन बिदाई देगा।
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किसी मोड़ पर साथ हमारा
छूटेगा ये तो निश्चित है
किसको कौन बिदाई देगा
इसका कुछ अनुमान नहीं है।
यही समझ कर पल छिन अपने
सारे सपने सुगन्ध बनलें
तार तार होने से पहले
खुश होले मुसकाले गालें
किसी मोड़ पर तार नेह का,
टूटेगा ये भी निश्चित है
कौन किसे तनहाई देगा
इस का कुछ अनुमान नहीं है।
रहा सजाता जोभी हममें
इन्द्र धनुष से सुंदर सपने
चाहत शेष बचे ना कोई
वहीं चुरालेगा सब अपने
चोरी हो जाने से पहले
रूप बदलना भी निश्चित है
कहां तोड़ अंगड़ाई देगा
इस का कुछ अनुमान नहीं है।
मीत आज ये वादा कर लें
दिव्य ज्योति की पीकर हाला
शेष चले सांसों के पथ पर
यादों में होकर मतवाला
किसी मोड़ पर साथ हमारा
फिर होगा ये भी निश्चित है
कौन रूप अंग्नाई देगा
इस का कुछ अनुमान नहीं है।
किस को कौन बिदाई देगा
इस का कछ अनुमान नहीं है।
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सत्येन्द्र तिवारी लखनऊ
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