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विश्व पर्यावरण दिवस

विश्व पर्यावरण दिवस 
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गिरीन्द्र मोहन मिश्र ,फ़ोटो जर्नलिस्ट ,जी.एम.ईस्टेट 

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पर्यावरण  रक्षा  की  सब   खाईये   सौगन्ध, 
कभी भी  नहीं  फैलायेंगे   कहीं  भी   दुर्गंध .

सरकार सिर्फ़ टैक्स लेगी  नहीं  करेगी  रक्षा, 
खुद मन पर रोक लगायें यही  होगा  अच्छा.

प्रकृति में  विकृति की  मानव  है  जिम्मेदार ,
इसकी  रक्षा के  लिए  खुद  बनिये  सुबेदार.

विवेक से काम करें नहीं  चाहिए  चौकीदार,
किसी से उम्मीद करना जीवन  में है  बेकार .

आपकी प्रकृति  आपका जीवन  हो  बेहतर ,
रब के सौगात  को रखिये  हमेशा  सहेज़कर.

हरियाली  से  खुशिहाली  मिलता  है  अपार,
इसकी रक्षा कीजियेगा प्रकृति रहेगा आभार.

ये प्रकृति मानव के लिए कितना  है  मज़ेदार ,
सजीव निर्जीव रक्षा  हेतु  खुद  हो  जिम्मेदार. 

नदी की बहती धारा  है इस  धरा  की  धरोहर ,
चिड़ियों की कलरव से  वातावरण  है मनोहर.

कंक्रीट की जंगल में  मत  खोजिये  हरियाली,
पेड़ पौधा लगाकर आयेगी  छायेगी  हरियाली.

पर्य वरण किये प्रिथ्वी पर लिया  तुमने  जन्म ,
जी.एम.इसकी अहमियत  का मत करो क्षरण.

विश्व पर्यावरण दिवस मनाते पाँच जून हर वर्ष,
उसके बाद याद नहीं रहता है अपना नेक कर्म. 
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