रिश्तों की बदलती परिभाषा
आशुतोष कुमार पाठकहम सभी किसी न किसी रिश्ते से बंधे जरूर है, चाहे वो परिवार का हो, या मित्रता का। जो इंसान रिश्तों से अलग जिंदगी गुजारता है वो इंसान मृत्यु तुल्य जिंदगी जीता है।
"करीब इतना रहो की रिश्तों में प्यार रहे,
दूर भी इतना रहो की आने का इंतजार रहे,
रखो उम्मीद रिश्तो के दरमियान इतनी की,
टूट जाये उम्मीद मगर रिश्ते बरक़रार रहे।।"
जब आप टूट जाते है या असफल हो जाते है या निराश हो जाते है तब एक रिश्ता ही रहता है जिससे आप दिल की बात कह पाते है। लेकिन कभी कभी कोई रिश्ता भी हमको धोखा दे जाता है।
छोटी छोटी बातें दिल में रखने से बड़े-बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं।
दरअसल रिश्तों को टूटने का कारण यही होता हैं कि हम जरा जरा सी बात का issue बना लेते हैं। कोई भी रिश्ता बात बात पर बिगड़ने और अहंकार से नही चलता।
"नाराज़गी को कुछ देर चुप रह कर मिटा लिया करो,
ग़लतियों पर बात करने से रिश्ते उलझ जाया करतें हैं..!!"
यकीनन एक रिश्ता जीवन भर चल सकता है। बस शर्त ये है कि हम बात बात पर नाराज होना छोड़ दे। कुछ लोग जरा सी बात पर नाराज हो जाते हैं, फिर बात बन्द हो जाती और फिर शुरुवात होती है गलतफहमी की।
"रिश्ते तितलियों की तरह होते हैं,
इन्हें अगर जोर से पकड़ो तो
उड़ जाते हैं
और अगर धीरे से पकड़ो तो
अपना रंग छोड़ जाते हैं….!!"
हर रिश्ता महत्वपूर्ण होता हैं। बचपन मे माता पिता से लेकर दोस्ती तक का। रिश्ता निभाना भी एक कला ही होती हैं।
परन्तु आजकल के रिश्ते स्वार्थ से लेकर छ्ल कपट तक हो चुके हैं। अधिकतर रिश्ते कुछ भी देने की अपेक्षा कितना मिला इस स्वार्थ मे जी रहे है।
कोई भी रिश्ता लेने के स्वार्थ की अपेक्षा देने की खुशी से ज्यादा टिका रहता है।
एक समय था जब माँ-बेटे का रिश्ता गरिमामयी रिश्ता रहता था, सम्मान और प्यार रहता था। अब आधुनिक जमाने मे माँ बच्चो की सीजेरियन डिलिवरी भी ज्योतिष से देखकर करवाती है, या कई महिलाये अपने 4 साल से लेकर 8 साल तक के बच्ची बच्चों की कुंडली लेकर ज्योतिषी के पास जाती है औऱ पूछती है कि बड़ा होकर हमे सुख देगा या नही देगा ।
इसी तरह आजकल के बेटे माँ-बाप के अहसान को तकरीबन भूल गए हैं। आज वो ये देखते हैं की हमारे माँ-बाप ने हमारे लिये क्या किया।
एक खास बात ध्यान रखिये कभी जिंदगी मे ये मत देखिये की हमें विरासत मे क्या मिला बल्कि ये देखिये की हम विरासत मे क्या छोड़कर जा रहे हैं। विरासत मे करोडो की संपत्ति छोड़ना उद्देश्य नही है, बल्कि लोगो के दिलो मे अपनी छाप छोड़कर जाना खास सम्पत्ति होती है।
रिश्तों की अहमियत समझे। जरा जरा सी बात पर टूटने मत दीजिये। हर रिश्ता अपना महत्व रखता है। जो चला गया उसे वापस बुला लो। उससे बात करो, हो सकता है आपके साथ, आपकी बात से उसका जीवन बदल जाये, औऱ निराश जिंदगी मे आशाएं भर जाए।.........साभार।
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