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कुशल नेतृत्व वही जो सबका हिय-मन लेकर चले!

कुशल नेतृत्व वही जो सबका हिय-मन लेकर चले!

                    - योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे. पी. मिश्र)
भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी ने 3 जुलाई, 20 को एकाएक सुबह लद्दाख जाकर भारतीय सेना का तो मनोबल बढ़ा दिया और पूरे देश को इस आकस्मिक यात्रा से चकित भी कर दिया। नेमू में सेना को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आपका फायर पावर भी हमने देखा है और फ्युरी भी। इसके पहले गलवान घाटी की झड़प में शहीद हुए 20 जवानों के बारे में उन्होंने कहा था कि वे मारते-मारते मरे! इस सब उत्साह की बात से जवानों में इतना आत्मबल बढ़ा की भारत की सेना विश्व में अच्छी जानी जाने लगी है।
कोरोना वायरस के विरूद्व संग्राम ठानने के लिए देशवासियों को विश्वव्यापी कोरोना वायरस से लड़ने के निमित्त 21 दिनों तक सामाजिक दूरी  (Social Distance) बनाकर रहने का आह्वान उन्होने 24 मार्च, 2020 को किया था और इसे भारतीयों ने 25 मार्च, 2020 से सहज लागू कर लिया . यह अवधि 14 अप्रैल, 20 को पूरी हुई।
इसी अवधि में 5 तारीख को रात्रि 9 बजे 9 मिनट तक बिजली की रोशनी बुझाकर उन्होंने दीया, मोमबत्ती, टार्च, मोबाईल का फ्लैश लाईट अपने घर के दरवाजे, बाॅलकोनी पर जलाने का आह्वान कर पूरे देश को एकजुट कर दिया. इस ताला-बंदी  (Lockdown) को शुरू करने के पहले भी 22 मार्च, 20 को सुबह 7 बजे से रात्रि 9 बजे तक जनता कर्फ्यू लागाने का आह्वान कर संध्या 5 बजे 5 मिनट के लिए प्रत्येक दरवाजे, बाॅलकोनी आदि पर जाकर ताली, थाली बजाने, शंख फूंकने आदि की राय देकर पूरे देश को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने को उन्होंने एकत्रित कर लिया था। यह उनके कुशल नेतृत्व का परिचायक है. अभी जब कोरोना वायरस को मात देने की बात है तो लोगों ने जान जाने के भय से ही सही सामाजिक दूरी बनाकर चलने को मन बना लिया है. साथ ही अनलॉक-1में भी घर से बाहर निकलने पर मास्क लगाना और एक मीटर की दूरी पर से ही एक-दूसरे के संपर्क में रहने का पालन करना शुरू कर दिया।इतना ही नहीं इसके पहले भी सहसा नोट-बंदी के होने पर लोगोंने सुख-सुविधा के विनष्ट हो जा सकने की कीमत पर भी इसे स्वीकार कर लिया था। मुस्लिम महिलाओं के लिए लागू तीन तलाक की प्रथा पर कानूनी रोक लगवाने के लिए देश को एक कर लिया था।  जम्मू-कश्मीर में लागू संविधान की 370 धारा हटा लेने की बात को भी अपनी ही बात समझकर सबों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। 24-3-20 को दिल्ली के सौ दिन से ऊपर चल रहे धरने को जब हटा दिया गया तो किसी को इसका भान भी नहीं था कि देश में 21 दिनों के लिए लाॅकडाउन लागू करने के लिए यह अनिवार्य था. ये सब बातें कुशल नेतृत्व की बात से ही प्रकट होती हैं! 
आएं, देखें नेतृत्व क्या है?
नेतृत्व की व्याख्या इस प्रकार दी गयी है "नेतृत्व एक प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति सामाजिक प्रभाव के द्वारा अन्य लोगों की सहायता लेते हुए एक सर्वनिष्ट (कॉमन) कार्य सिद्ध करता है"। एक और परिभाषा एलन कीथ गेनेंटेक ने दी जिसके अधिक अनुयायी थे "नेतृत्व वह है जो अंततः लोगों के लिए एक ऐसा मार्ग बनाना जिसमें लोग अपना योगदान दे कर कुछ असाधारण कर सकें."

ओसवाल्ड स्पैगलर ने अपनी पुस्तक 'मैन ऐण्ड टेक्निक्स' (Man and Techniques) में लिखा है कि ‘‘इस युग में केवल दो प्रकार की तकनीक ही नहीं है वरन् दो प्रकार के आदमी भी हैं। जिस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति में कार्य करने तथा निर्देशन देने की प्रवृति है उसी प्रकार कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जिनकी प्रकृति आज्ञा मानने की है। यही मनुष्य जीवन का स्वाभाविक रूप है। यह रूप युग परिवर्तन के साथ कितना ही बदलता रहे किन्तु इसका अस्तित्व तब तक रहेगा जब तक यह संसार रहेगा।’’

शासन करना, निर्णय लेना, निर्देशन करना आज्ञा देना आदि सब एक कला है, एक कठिन तकनीक है। परन्तु अन्य कलाओं की तरह यह भी एक नैसर्गिक गुण है। प्रत्येक व्यक्ति में यह गुण या कला समान नहीं होती है। उद्योग में व्यक्ति के समायोजन के लिए पर्यवेक्षण (supervision), प्रबंध तथा शासन का बहुत महत्व होता है। उद्योग में असंतुलन बहुधा कर्मचारियों के स्वभाव दोष से ही नहीं होता बल्कि गलत और बुद्धिहीन नेतृत्व के कारण भी होता है। प्रबंधक अपने नीचे काम करने वाले कर्मचारियों से अपने निर्देशानुसार ही कार्य करवाता है। जैसा प्रबंधक का व्यवहार होता है, जैसे उसके आदर्श होते हैं, कर्मचारी भी वैसा ही व्यवहार निर्धारित करते हैं। इसलिए प्रबंधक का नेतृत्व जैसा होगा, कर्मचारी भी उसी के अनुरूप कार्य करेंगे।

स्मिथ ने कहा है- "यदि किसी व्यक्ति के पास सुन्दर बहुमूल्य घड़ी है और वह सही तरह से काम नही करती है तो वह उसे मामूली घड़ीसाज को सही करने के लिए नहीं देगा। घड़ी की जितनी बारीक कारीगरी होगी, उसे ठीक करने के लिए भी उतना ही चतुर कारीगर होना चाहिए। कारखाने या फैक्ट्री के विषय में भी यही बात है। कोई भी मशीन इतनी जटिल और नाजुक नहीं और न ही इतना चातुर्यपूर्ण संचालन चाहती है, जितना प्रगतिशील प्रबंध नीति। यह आवश्यक नहीं कि प्रबंध नीति प्रगतिशील हो। आवश्यकता इस बात की होती है कि प्रबंध नीति सुचारू रूप से हो, यदि सुचारू रूप से प्रबंध नीति चलेगी तो प्रगति अपने आप होने लगेगी"।

नेतृत्व संगठनात्मक संदर्भों के सबसे प्रमुख पहलुओं में से एक है। हालांकि, नेतृत्व को परिभाषित करना चुनौतीपूर्ण रहा है।

प्रबंध जगत में नेतृत्व का अपना एक विशिष्ट स्थान है एक संस्था की सफलता या असफलता हेतु काफी हद तक नेतृत्व जिम्मेदार होता है कुशल नेतृत्व के अभाव में कोई भी संस्था सफलता के सोपान को पार नहीं कर सकती है यहां तक भी माना जाता है कि कोई भी संस्था तभी सफल हो सकती है जब उसका प्रबंधन नेतृत्व भूमिका का सही निर्वहन करता है फिटर एक ट्रकर के शब्दों में प्रबंधक किसी व्यवसायिक उपक्रम का प्रमुख एवं दुर्लभ प्रसाधन है अधिकांश व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के सफल होने का प्रमुख कारण कुशल नेतृत्व ही है. अत: मोदी ने वही प्रक्रिया अपनाया जो सबका हिय-मन लेकर चले, यथा,  "नेतृत्व एक प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति सामाजिक प्रभाव के द्वारा अन्य लोगों की सहायता लेते हुए एक सर्वनिष्ट (कॉमन) कार्य सिद्ध करता है।"

कुशल नेतृत्व की विशेषता होती है कि घर क्या बाहर वह सबका दिल जीत लेता है. आज माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए यही बात चरितार्थ होती है, क्योंकि वे स्वदेश क्या विदेश में भी सबों के दिल में गहरे बैठे हुए हैं.
भारत के योग' पर आज विश्व के अधिकांश देश फिदा हो चुके हैं और कोरोना महामारी से रक्षा के मामले में तो उन्हें विश्व ही सहायक, पथ-प्रदर्शक मान बैठा है, जिसका लिट्मस टेस्ट तो कोरोना वायरस बीमारी से लड़ने के लिए  हाइड्रोक्सीक्लौरौक्वीन दवा की अमेरिका सहित कई देशों को भारत द्वारा आपूर्ति कर देने पर सिद्ध हो चुका है! लेकिन इसका श्रेय वे खुद को न देकर भारत की 130 करोड़ जनता को देते हैं. हमें भी इस बात फर गर्व करना चाहिए कि भारत धीरे-धीरे विश्व गुरु का स्थान प्राप्त कर रहा है.

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अर्थमंत्री-सह-कार्यक्रम संयोजक,बिहार-हिन्दी- साहित्य-सम्मेलन, पटना, 800003.निवास: मीनालय, केसरीनगर, पटना-800024.
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