आज भारतीय जन क्रान्ति दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश कुमार चौबे ने एक प्रेसनोट जारी कर बताया कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज जारी है I सनातन परंपरा में गेरुआधारी बनकर और अपने आपको स्यंभू सन्यासी घोषित कर अपने मनमाफिक राजसत्ता के संचालन से सनातन धर्म और भारतीय संविधान पर जानबूझ कर किये जाने वाले दमनात्मक प्रवृति प्रेरित कार्रवाइयों पर जनहित में विराम लगाने की जरुरत I एक सन्यासी के मन में राजसत्ता को अपने जंगलराज कानून की तरीके से चलाने की मीमांसा यह न तो सन्यास धर्म के अनुकूल है और न ही सनातन संस्कृति के अनुकूल है I इसलिए ऐसे प्रवृति के विकृति के बाहक पर न्यायपालिका को जनहित में लगाम लगाने की जरुरत है I मुख्यमंत्री श्री आदियनाथ योगी से न तो धार्मिक मर्यादा सुरक्षित है और न ही संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर जी द्वारा बनाया गया भारत का लोकतांत्रिक संविधान हीं सुरक्षित है I
महोदय, मुख्यमंत्री
श्री आदियनाथ योगी की कार्यशैली और भाषा से आम जनता को यह महशुस होता है कि श्री
आदियनाथ योगी के अलावे कोई सनातन का श्रेष्ट ज्ञाता आज नहीं है I
उनकी निरंकुश भाषा शैली से लगता है कि वे देश के राष्ट्रपति,सरवोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और देश के प्रधानमंत्री से भी आपने
आपको बड़ा मानते हैं I उनकी निरंकुश असंवैधानिक कार्यशैली पर
जो कोई भी प्रश्नचिन्ह उठाता है तो प्रश्न खड़ा करने वाला उनके और उनके अनुवायियों
की नजर में देशद्रोही, धर्मद्रोही, आतंकवादी,
असामाजिक, अपराधी और न जाने क्या क्या हो जाता
है I जिसके चलते वो अपने शासकीय शक्ति का दुरूपयोग कर,
अपने पुलिस तंत्र से फर्जी केस कराकर या अपने पालित, पोषित और संरक्षित अनुवायियों से फर्जी मुकदमें दर्ज कराकर गिरफ्तारी और
फिर उसका फर्जी इनकाउंटर अर्थात एक तरह का शासकीय हत्या कराते हैं I किसी घोषित सन्यासी और अब लोकतांत्रिक प्रणाली से नियुक्त भारत के बड़े
प्रदेश के मुख्यमंत्री का रॉबिन हुड और कबीलाई सरगना की तरह आचरण लोकतंत्र के लिए
घातक है I उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर
विराजमान होते हुए भी वे गोरखनाथ पीठ के स्यंभू तरीके के पीठाधीश्वर बने हैं यह एक
तरह से असंवैधानिक है I गोरखनाथ पीठाधीश्वर का चुनाव चुकि
लोकतांत्रिक तरीके से नहीं होता है इसलिए इनकी पीठाधीश्वर के रूप में की जाने वाली
व्यवहार प्रवृति आज एक मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर विराजमान के लिए किसी भी
दृष्टिकोण से विधि सम्मत नहीं है I उनकी कार्यशैली आज देश के
प्रधानमंत्री से भी ज्यादा पावरफुल जैसी हो गई I अपने
असंवैधानिक सोंच और इरादे को वो शासन संचालन की कार्यपालिका तंत्र पर थोप रहे हैं
और मनमाने कार्य करवा रहे हैं I उनका बार बार यह अलाप ‘रामकाजु कीन्हें बिना मोहि कहां बिसराम’ आखिर
उनके किस मिशन को दर्शाता है ? मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम का
क्या यहीं चरित्र था ? क्या मर्यादा पुरुषोतम के शासन पद्धति
का तरीका अलोकतांत्रिक था ? प्रजा में तनिक उनके खिलाफ चर्चा
हुई तो माँ सीता को वनवास भेजने जैसा राजधर्म निभाने वाले मर्यादा पुरुषोतम का
अपने आपको अनुगामी घोषित करने वाले का स्यंभू चरित्र और स्यंभू सिद्धांत लोकतंत्र
के अनुकूल नहीं है I लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकारों की
गिरफ्तारी और उनपर शासकीय दमन कहीं से भी मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी के
लोकतांत्रिक और संवैधानिक आचरण के अनुकूल नहीं है I
महोदय भारत संविधानिक रूप से धर्म निरपेक्ष गणराज्य है I सभी धर्मों के लोग यहाँ रहते हैं और भारत पर सबका सामान अधिकार है I
हिन्दू वाहिनी जैसी कट्टरवादी संगठन के संस्थापक जैसे हीं
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे उनके लिए अब एक संगठन विशेष का मिशन मोड कार्यक्रम
सर्वोपरी नहीं होना चाहिए I बल्कि
सर्वधर्म समभाव और भारतीय संविधान के अनुसार लोकतांत्रिक व्यवस्था का संचालन करना
उनका संवैधानिक आचरण होना चाहिए I उनपर टिक्का टिपण्णी करने
वाले न जाने कितने जेल गए, बेमौत मारे गए और उनपर फर्जी
मुक़दमे लादे गए यह लोकतांत्रिक देश में संविधान के अनुकूल नहीं है I अपने आपको हिन्दू ह्रदय सम्राट की छवि के रूप में स्थापित करने का कोई कोर
कसर नहीं छोड़ने वाले के शासनकाल में न तो हिन्दू सुरक्षित है और न मुस्लिम और न ही
और हीं धर्मावलंबी अपने आपको सुरक्षित मह्सुश कर रहे
हैं I
महोदय, विकास दुबे बेसक एक खूंखार दुर्दांत
अपराधी था I उसपर साठ से ज्यादा मुकदमें दर्ज थे उसने अपने
गुर्गों के जरिये आतंक का साम्राज्य कायम कर लिए थे I लेकिन
उस दुर्दांत अपराधी को पुलिस कस्टडी में लेकर उसका और उसके गैंग के सभी सदस्यों को
पुलिस हिरासत में लेकर फेक इनकाउंटर करने से पूरा देश यह मह्सुश कर रहा है कि भारत
में न्यायपालिका का न्याय नहीं बल्कि मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी का जंगलराज
कानून स्थापित है I एक अपराधी को हिस्ट्री शीटर अपराधी और
फिर बाहुबली नेता,विधायक ,सांसद और
मंत्री होते यहां तक कि मुख्यमंत्री बनाने के पीछे क्या दूषित राजनीतिक संरक्षण और
दूषित पुलिस संरक्षण का आपसी घालमेल नहीं है ? विकास दुबे और
उसके साथियों को हिरासत में लेकर फेक इनकाउंटर में मारने के कारण बहुत सारे राज
दफ़न हो गए I राजनीतिक और पुलिसिया संरक्षण के पापों पर पर्दा
डालने की नियत से इसतरह की शासकीय हत्या मुख्यमंत्री के इशारे पर पुलिस द्वारा
किये जा रहे हैं जिसपर रोक लगाने की जरुरत है I खादी और खाकी
वर्दी के आपसी मिलीभगत के कुकृत्य जनहित में उजागर होने चाहिए I
दुर्दांत अपराधियों को और उसके गिरोह के लोगों को हिरासल में लेकर
फेक इनकाउंटर करना यानि शासकीय हत्या कराना यह शासक की पागलपन और हिटलरशाही
प्रवृति है जो लोकतंत्र के लिए और न्यायपालिका के लिए प्राणघातक है I इनके अबतक के शासनकाल में सौकड़ों इनकाउंटर हुए हैं जिसमें से अधिकांश
बल्कि प्रायः सभी फर्जी तरीके से इनके मनमर्जी इरादे के संकेत से पुलिस ने
कार्यरूप में अंजाम दिया है I क्या यह नैसर्गिक न्याय
सिद्धांत का शासकीय दमनकारी सोंच सिद्धांत नहीं हुआ ? न्यायालय
के अधिकारों को चुनौती देने का शासकीय कृत्य कदापि न्ययोचिन और संविधान के अनुकूल
नहीं है I
महोदय,
राज्य सरकार के पास जब यह विशेषाधिकार है कि वह किसी भी मामला का एक
सप्ताह में ही स्पीडी ट्रायल कर दोषियों को फांसी तक की सजा दिला सकती है तो फिर
हिरासत में लेकर फेक इनकाउंटर कर सामने आने वाले सारे तथ्यों को उजागर होने से
रोकने का असंवैधानिक गैरकानूनी कृत्य के पीछे का असली मकसद क्या है ?
महोदय, मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी के
हिटलरशाही शासकीय प्रवृति से आज संपूर्ण देश का माहौल कैसा बना हुआ है इसका आंकलन
अपने जुडिसियल प्रणाली तंत्र या फिर निष्पक्ष स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराकर देख
लिया जाय I मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी स्वयं दर्जनों
आपराधिक मुकदमों के अभियुक्त भी थे जिसका निष्पादन कायदे से न्यायपालिका में
सुनवाई ट्रायल द्वारा होना चाहिए था I लेकिन मुख्यमंत्री
बनते हीं इन्होने अपने ऊपर के सभी मुक़दमे स्वयं के आदेश से वापस ले लिया I क्या यह न्यायपालिका को चुनौती देना और अपने देश के संविधान और न्यायालय
पर भरोसा नहीं होना के रूप में परिलक्षित नहीं करता है ? न्यायशास्त्र का सामान्य-सा नियम है कि एक अपराध दूसरे का औचित्य नहीं
सिद्ध कर सकता I लेकिन मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी अपने
शासकीय आपराधिक शैली से अपराध का खात्मा अपराध से करने के असंवैधानिक और गैरकानूनी
कृत्य को प्रतिष्ठापित करना चाहते हैं I
महोदय,ऐसी स्थिति में देशहित, जनहित, समाजहित और न्यायहित में न्यायपालिका का
हस्तक्षेप बेहद जरुरी है I हमारे देश की न्यायपालिका ही
सर्वोच्य है और आगे भी हमारे देश में न्यायपालिका की सर्वोच्चता हीं बहाल रहे
हमारे देश के नागरिकों की यह ह्रदय से कामना है I विधायिका
के कुछ छुटभैया सिरफिरे अपने देश की न्यायपालिका को कुचलने का जो मंसूबा पाले हुए
हैं उसपर देशहित, जनहित और न्यायहित में पूर्ण विराम लग्न
चाहिए I
महोदय,मैं भारत का एक सजग, संवेदनशील, सर्वधर्म समभाव रखने वाला, चेतन और चिन्तनशील नागरिक हूँ I इसलिए अपनी आत्मा की
आवाज को देश की आम जनता की आवाज से जोड़कर न्यायनार्थ आपको यह शिकायत पत्र जनहित
याचिका के रूप में संज्ञान के रूप में लेने हेतु प्रेषित करना अपना संवैधानिक
अधिकार मानता हूँ I कृपया मेरे द्वारा व्यक्त उद्गार के
एक-एक शब्द, भाव और अभिप्राय को समझते हुए और इसे जनहित
याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को पार्टी
बनाया जाय I साथ ही साथ उनसे जबाब तलब किया जाय कि आखिर देश
में संविधान का शासन चलेगा कि तानाशाही प्रवृति के श्री आदित्यनाथ योगी का जंगल
कानून और हुकूमत चलेगा I इसके साथ हीं साथ पुलिस महानिदेशक
उत्त रप्रदेश,एसटीएफ पुलिस प्रमुख, कानपूर
पुलिस हत्या काण्ड में तथाकथित संलिप्त वैसे अपराधी जिसका अब तक शासकीय हत्या यानि
फेक इनकाउंटर हुआ इन इनकाउंटर में शरीक सभी पुलिस कर्मियों एवं सभी पुलिस
अधिकारीयों का नार्को टेस्ट जुडिशियल निगरानी में कराया जाय जिससे की पूर्णतया
वास्तविकता का पता चल सके I मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी
के शासनकाल में हुए अबतक के सभी इनकाउंटर का प्राथमिकी रिपोर्ट ,सभी इनकाउंटर का पोस्टमार्टम रिपोर्ट और संबंधित सभी केस का पुलिस अंतिम
प्रतिवेदन कागजात मंगाकर प्रत्येक पहलुओं पर जुडिशियल इन्क्वायरी माननीय
सर्वोच्च्य न्यायालय की देखदेख में कराई जाय I इस
मांग को उन्हों ने महामहिम राष्ट्रपति,भारत गणराज्य, महामहिम उप राष्ट्रपति , सह
सभापति राज्यसभा, माननीय अध्यक्ष ,लोकसभा, माननीय प्रधानमंत्री,भारत सरकार, अध्यक्ष, मानवाधिकार
आयोग, मुख्य न्यायाधीश,इलाहाबाद उच्च न्यायालय, गृह
मंत्री,भारत सरकार, गृह सचिव,भारत सरकार | इन सभी महानुभावो से कार्यवाही की मांग की है |
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