एकलव्य जिंदा है ... अंगूठे कटे हुए हैं ??

शिक्षा व्यवस्था का बंटाधार ... केवल बजट , फिर बना आरक्षण की नीति , शिक्षा को कमजोर किया गया ! अयोग्य लोगों को जाली एवं नकली प्रमाण पत्र पर लेक्चर / प्रोफेसर नियुक्त कर दिया गया ...
काश , आज भी देश का राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री
शिक्षाविद होते ! सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाद कोई शिक्षाविद देश का राष्ट्रपति नहीं बना ! राज्यपाल जो राज्य के सारे विश्वविद्यालयों के ' कुलाधिपति ' होते हैं उस पद पर ' अशिक्षित जोकर राजनीतिज्ञों ' को बैठा दिया गया !
राज्यपाल का पद तो शिक्षाविद को ही होना चाहिए ... नहीं तो राज्यों के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों का रचनात्मक , सुदृढ़ , सफल संचालन कैसे होगा , लेकिन हर जगह राजनीतिक दुरुपयोग हो रहा है ... [ आलाकमान के हिसाब और मिजाज से मनमानी चयन एवं निर्धारण , राजनीतिक लाभ-हानि देखकर किया जाता है ]
राष्ट्रपति - प्रधानमंत्री - राज्यपाल पद की मर्यादा समाप्त हो गई ... इस वर्ष ₹99000 करोड़ का बजट है शिक्षा का !
देखते हैं ? कितने युवा,कैसे लाभान्वित होते हैं ? अनुसंधान कार्य कितना बढ़ जाता है ? युवा कितने सुनियोजित हो जाते हैं ?
" एकलव्य के अंगूठे अभी भी काटे जा रहे हैं "
" शिक्षक गरीबी में जी रहे हैं "
CORONA @ शिक्षक भूखे मर रहे हैं ... कोई देखने वाला , कोई सुनने वाला , कोई पूछने वाला नहीं !!दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
1 टिप्पणियाँ
Quality of education has degraded in Today's India. (Not all but some) sabhi mein paise kamane ki hodh lagi hai. Education is now BUSINESS
जवाब देंहटाएंदिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com