किसी भी सूरत में किसी भी बाहरी को चुनाव नहीं जितने देगी बक्सर की जनता-गीता चौबे
भारतीय जनक्रांति दल डेमोक्रेटिक की बक्सर सदर विधानसभा प्रत्याशी श्रीमती गीता चौबे ने कहा है कि “महर्षि विश्वामित्र की नगरी में सभी आगंतुकों का स्वागत है I लेकिन महर्षि विश्वामित्र की नगरी बक्सर की जनता के साथ छल प्रपंच करने वालों को बक्सर में आने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है I यहाँ के वैसे निर्वाचित हुए सांसद,विधायक तथा विधान पार्षद जो यहाँ के जनता के जनमत से जीतकर गए और पांच साल तक यहाँ की जनता की सुधि नहीं लिए वैसे घुसपैठिये को बक्सर जिला की जनता अबकी चुनाव हराने का काम करेगी I उनको दुबारा जनता से वोट मांगने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है I
बक्सर भगवान राम की शिक्षास्थली है I राजकुमार राम को श्रीराम के रूप में स्थापित करने की यह पौराणिक नगरी है I लेकिन दुर्भाग्य यह है कि भारत में जितनी चर्चा राम लला की जन्मस्थली अयोध्या की होती है, आखिर बक्सर की क्यों नहीं होती है ? जबकि भारतीय इतिहास में बक्सर का महत्वपूर्ण स्थान है I बक्सर भगवान राम की शिक्षास्थली है क्या इसे कोई नकार सकता है ? उसी तरह से 1539 ई. में हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच बक्सर के चौसा में हुए युद्ध में हुमायूं को पराजित कर शेरशाह ने सुल्तान-ए-आदिल की उपाधि धारण की और बंगाल तथा बिहार के सुल्तान बन गए क्या इसको कोई झुठला सकता है ?
बक्सर में ही 1764 ई में अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी के हैक्टर मुनरो तथा मुग़ल शासकों और नवाबों की संयुक्त सेना के बीच युद्ध हुआ था जिसमें अंग्रेजों की जीत हुई थी I फलस्वरूप तत्कालीन बिहार तथा बंगाल के दीवानी और राजस्व अधिकार कंपनी के हाथ में चले गए I कहा जाता है कि भारत में अंग्रेजी हुकूमत की नींव इसी युद्ध से बनी क्या इसे भी कोई नजरअंदाज कर सकता है ? बक्सर का प्रतिनिधित्व जनसंघ और भाजपा से जुड़े डुमरांव महाराजा कमल बहादुर सिंह, समाजवादी नेता रामानंद तिवारी,कांग्रेस के कमलाकांत तिवारी,भाकपा के तेज नारायण सिंह,भाजपा के लाल मुनी चौबे,राजद के जगदानंद सिंह और अब भाजपा के अश्विनी कुमार चौबे कर रहे हैं I यूँ कहें तो बक्सर को हर तरह के विचार धाराओं का प्रतिनिधित्व मिला है I लेकिन आज भी शहर में घूमकर ऐसा नहीं लगता कि यहां की सूरत बदली है I मिनी काशी के रूप में मशहूर आज भी उपेक्षित है I
बक्सर में भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ ही साथ वर्त्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली भी हुई है I यहाँ बिहार के अब तक के रहे प्रायः मुख्यमंत्रियों ने भी चुनावी रैली की है I बक्सर के विकास के लिए सभी ने वायदे और घोषणा किये थे I लेकिन आज उन सभी के वायदे और घोषणा मूर्त रूप में कहीं नहीं दिखाई देता है I बक्सर में गंगा सफाई और नमामी गंगे परियोजना का धरातलीय सचाई कहीं नहीं दिख रहा है I बक्सर, सदर अस्पताल का हाल जस का तस है I
बक्सर केवल पौराणिक और ऐतिहासिक रूप से ही महत्तवपूर्ण नहीं है बल्कि आज भी यहां के साधु-संत प्रसिद्ध हैं I मौजूदा समय में बिहार के सबसे बड़े संत कहे जाने वाले जीयर स्वामी महाराज का आश्रम और कार्यस्थली बक्सर ही है I इसके अलावा महंत राजा राम शरण दास जी महाराज जो सीताराम विवाह आश्रम चलाते हैं, उनकी भी इलाके में अच्छी पैठ है I अनेकों राजनेता इन महान संतों का आशीर्वाद लेने आते हैं I लेकिन इन संतों की नगरी को आज भी विकास के लिए अछूत समझा गया है I केवल वोट की ठगबंदी और राजनीति ही हुआ है I सनातन धर्म और श्रीराम का सहारा तो लिया जाता रहा है लेकिन विकास कार्य करने के बजाय ठेंगा दिखाने का हीं अब तक कार्य हुआ है I यहाँ के साधु-संतो से लगाव जोड़कर राजनेता तस्वीरें खिंचवाते हैं I उनसे आशीर्वाद लेते हैं लेकिन चुनाव के बाद सब कुछ भूल जाते हैं I यहाँ की जनता कई समस्याओं से जूझ रही है लेकिन आज तक समाधान के लिए कोई ठोस पहल और ठोस मांग नहीं हुआ है I पुरे बक्सर में प्राथमिक अस्पतालों की स्थिति दयनीय है। ब्रह्मपुर शिव मंदिर के प्रांगण का विकास भी तरीके से नहीं हुआ है I बक्सर में कई मंदिर हैं जिसे दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित कर इसको पर्यटक के मानचित्र पर लाया जा सकता था लेकिन किसी सांसद ,विधायक और विधान पार्षद ने कभी आवाज नहीं उठाया I ऐसी स्थिति में अब किसी भी सूरत में किसी भी बाहरी को चुनाव नहीं जितने देगी बक्सर जिला की जनता I”
श्रीमती गीता चौबे ने कहा है कि बक्सर सदर विधानसभा से निर्वाचित विधायकों को मंत्रीमंडल में रहने का अनेकों बार सौभाग्य प्राप्त हुआ लेकिन किसी ने भी जिला के विकास के लिए ऐसा कोई अविस्मर्णीय काम नहीं किया है जिसको गिनाया जा सके I बक्सर जिला के कोई न कोई विधायक मंत्रिमंडल में शामिल रहते हैं लेकिन उनलोगों ने अपने प्रभाव का उपयोग कदापि नहीं किया है I श्रीमती गीता चौबे ने कहा है कि धर्म और अध्यात्म की नगरी जिसे मिनी कशी कहा जाता है धर्म और अध्यात्म की दृष्टिकोण से आज भी विश्व मानस पटल पर स्थापित है लेकिन इसके बावजूद भी विकास के मानचित्र पर इसका कोई स्थान नहीं दिखाई देता है I अब तो बक्सर का स्थान सबसे गंदा शहर की लिष्ट में दुसरे स्थान पर है जो कि काफी शर्मनाक है I
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