इत्तेफाक
आंगन में खनकी पायल,
कर गयी दिलों को घायल,
कुछ और हुये थे पागल,
मैं भी था उसमें शामिल ।
भाई की शादी में अबदुल्ला दीवाना हो गया,
जिगरे की वीरानगी में अजब इत्तेफाक हो गया।
बज उठीं मेरे ब्रदर की शहनाई,
पायल ने फिर दिल की धड़कन बढ़ाई।
आख-मिचौली के खेल-खेल में,
कभी पास से, कभी दूर से वो मुस्कुराईं।
मेरे मोबाइल में नम्बर और नाम दर्ज हो गया,
जिगरे की वीरानगी में अजब इत्तेफाक हो गया।
कहानी तेजी से आगे बढ़ गई,
अब तो पल-पल में नजर लड़ गई।
कैसे करूँ दिल को काबू,
वो ख्वाब में आकर बस गईं।
लगता है भाई की शादी में मेरा भी इंतजाम हो गया,
जिगरे की वीरानगी में अजब इत्तेफाक हो गया।
शादी में जैसे आगे बढ़ी घोड़ी,
मैने अपने दिल कि बात छोड़ी।
उन्होंने हां में सर हिलाया,
और इकरार, इजहार में चुप्पी तोड़ी।
जयमाला होते होते एक और घोटाला हो गया,
जिगरे की वीरानगी में अजब इत्तेफाक हो गया।
वालिद देख रहे थे हमारी कहानी,
कौन है दीवाना और कौन है दीवानी।
बात बात में बात, ना बिगड़े,
दो दिलों की मुलाकात पड़ी बतानी।
बैठकों के दौर चले, इश्क इम्तहान में पास हो गया,
जिगरे की वीरानगी में अजब इत्तेफाक हो गया।
राजेश लखेरा, जबलपुर, मध्यप्रदेश।
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