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हमारी हिंदी

विश्व हिंदी दिवस, 10 जनवरी के अवसर पर |

 हमारी हिंदी


 आन है हिन्दी, बान है हिन्दी,
घर-घर गूँजी हिन्दुस्तान है, हिन्दी।

संस्कृत भाषा के मूल में बसती,
देवनागरी लिपि को प्रतीक समझती,
धार्मिक ग्रंथो में कल-कल बहती,
अंचल राज्यो के चिर उर को चीरकर,
और फिर वारिध पार निकलती।

मां सरस्वती के कंठ बिराजै,
वीणा का वरदान है हिन्दी,

आन है हिन्दी, बान है हिन्दी,
घर-घर गूँजी हिन्दुस्तान है, हिन्दी।

सदियों से संस्कृति में सजती,
हिंदू के हर  संस्कार में पलती,
दिल से दिल को खूब समझती,
मन के आंसू हरहाल निगलती,

जीने की आशा की धडकन,
मानवता की पहिचान है हिन्दी।

आन है हिन्दी, बान है हिन्दी,
घर-घर गूँजी हिन्दुस्तान है, हिन्दी।

धर्म-निरपेक्षता का किरदार निभाती,
भारतीय रेल के परिवहन सफर मे,
हरधर्मो में सामजंस्य बिठाती,
इंसा को मानवता के रंग में रंगकर,
घुल-मिलकर त्योहार मनाती।

जनमानस की आस्था, अनुभूति,
धडकन और अरमान है हिन्दी।

आन है हिन्दी, बान है हिन्दी,
घर-घर गूँजी हिन्दुस्तान है, हिन्दी।

स्वाधीनता का सूरज जब आया,
अंग्रेज़ी की काली छाया को,
तब हिन्दी ने दूर भगाया।

संविधान निर्माताओं ने हिंदी को परखा,
संविधान अनुच्छेद में हो गई बरखा।

राजनीतिक माहौल से धुंधली,
और हो गई गुमनाम सी हिंदी।

आन है हिन्दी, बान है हिन्दी,
घर-घर गूँजी हिन्दुस्तान है, हिन्दी।

वैश्विक समाज व्यवसायिक स्तर पर निहारें,
यूरोप, एशिया और घटक विश्व के,
अब हिंदी, हिंदी ही पुकारे।

मानवता के हर प्रतीक का,
करती है गुणगान है हिंदी,

आन है हिन्दी, बान है हिन्दी,
घर-घर गूँजी हिन्दुस्तान है, हिन्दी।

संसद के सांसद, महानुभाव और श्रीमन्,
संविधान में कर डालो संशोधन,
कार्यालय एवं अन्य कामकाज में,
हो हिंदी का अधिकतम आवंटन।

दूसरे नंबर की विश्व की भाषा,
सारे जगत की शान है हिन्दी।

आन है हिन्दी, बान है हिन्दी,
घर-घर गूँजी हिन्दुस्तान है, हिन्दी। 

हर कर्मचारी अब शपथ ये.खायें,
अब हिन्दी फाइलों मे रम जाये,
पठन-पाठन के हर विषयों में,
अब हिन्दी की वर्षा हो जाये।

देश के खातिर सीमा पर लड़ती,
देश के भीतर कुरबान है हिन्दी।

आन है हिन्दी, बान है हिन्दी,
घर-घर गूँजी हिन्दुस्तान है, हिन्दी।

राजेश लखेरा, जबलपुर म.प्र.।

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