प्यार करना सरल पर निभाना कठिन है
राह कांटों की चल मुस्कुराना कठिन है
बंद करके वो बैठे हुए दिल की साँकल
द्वार पत्थर का अब खटखटाना कठिन है
कोशिशें मौन होके सब किनारे खड़ी
रूठे यार को सचमुच मनाना कठिन है
बहुत दूर हमसे तुम चले तो गए हो
लेकिन तुम्हें दिल से भुलाना कठिन है
छूट जाए अगर साथ साथी का तो
दर्द दिल का किसी को सुनाना कठिन है
आ गया है प्रतीक्षा में मधुमास क्या
छोड़ा है क्या-क्या ये बताना कठिन है
हैं दिखावे के रिश्ते हुए आजकल तो
एक-दूजे कोअब मुंह दिखाना कठिन है
जिंदगी से हो गये हैं परेशान 'जय'
रात-दिन नाज़-नखरे उठाना कठिन है
*
~जयराम जय
'पर्णिका',11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास,
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