ऐतिहासिक धरोहरों से सुसज्जित यह प्राचीन महान शहर कभी अध्यात्मिक, सांस्कृतिक और शिक्षा का बड़ा केन्द्र रहा था। लेकिन इसे यहां के क्षुद्र लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए इसे नष्ट कर दिया है।
कभी अपने मंदिरों के लिए चर्चित रहे पटना सिटी के प्राचीन मंदिर तो धीरे-धीरे लापता हुए जा रहे हैं। इन मंदिरों को एक सोची समझी रणनीति के अन्तर्गत भूमाफियाओं द्वारा शहर के नक़्शे से ही गायब किया जा रहा है।
बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद पंगु बन चुका है। इसकी सक्रियता आचार्य किशोर कुणाल के कार्यकाल में बढ़ी थी। इसी दौरान पटना जिला सुधार समिति ने यहाँ के ऐतिहासिक मंदिरों की एक सूची आचार्य किशोर कुणाल जी को सौंपी थी, जिसे उन्होंने फाईल करवाते हुए कुछ कार्रवाई भी की थी।
उसी वक़्त अति प्राचीन और जनता की नजरों से ओझल फुलौड़ी गंज (केशव रायघाट, फुलौड़ी गली) चौक,पटना सिटी स्थित शिव मंदिर का मामला भी धार्मिक न्यास पर्षद में सूचीबद्ध हुआ था। पर्षद के सहायक अधीक्षक तुलसीदास गोस्वामी ने जाँचकर 02- 08-2007 कोअपना जाँच प्रतिवेदन पर्षद में जमा किया था।
पर्षद ने उसी आधार पर पटना जिला सुधार समिति को पक्षकार बनाते हुए कारवाई आगे बढ़ाई। श्री कुणाल ने इसकी सुनवाई दोनों पक्षो के कागजात के आधार पर किया। इसका निर्णय लिखकर तैयार करने के लिए संचिका सहायक अधीक्षक तुलसीदास गोस्वामी दिया गया। इसी बीच तुलसीदास गोस्वामी सेवानिवृत हो गए और श्री कुणाल ने भी धार्मिक न्यास पर्षद को छोड़ दिया। निर्णय तो हो चुका था लेकिन आदेश भी नहीं लिखा गया था सो वह और वह आज तक लंबित ही है। शिव मंदिर पर्षद में निबंधित है और इसकी संचिका सं०२२८है। इस बीच एक साजिश के तहत पर्षद कार्यालय से इस संचिका को गायब कर दिया गया। एक पक्षकार के नाते मैंने पर्षद को सारे कागजात फिर से सौंप कर इस मामले को पुनर्जीवित करने का आग्रह किया है।
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