मैं आधुनिक युग की नारी हूं
ना मैं अबला, ना मैं लाचार हूं
मैं लेखक और कवियत्री हूं। अपने भुजबल से जीती हूं गृहणी हूं व्यापारी हूं ।
मैं आधुनिक युग की नारी हूं
मैं हर रोज लड़ी जज्बातों से कभी बिखरी नहीं, टूटी नहीं हूं ,न अबला ना बेचारी हूं। समूल प्रकृति में बड़ी प्यारी हूं। मैं आधुनिक युग की नारी हूं।
मैं एक फूल सी जिस बिन ईश्वर की पूजा अधूरी।
मेरे बिन हर घर की बगिया अधूरी।
जितना हो उतना निखरती हूं जैसा सांचा मिलता है उसी में ढल जाती हूं।
मैं संकट से नहीं घबराती हूं।
मैं आधुनिक युग की नारी हूं
मैं ईश्वर की अनमोल रचना एक तोहफा जन्म दात्री हूं
जो हालात से हारे ऐसी नहीं लाचारी हूं ।
मैं आधुनिक युग की नारी हूं।
मैंने पुरुष प्रधान जगत में अपना लोहा मनवाया
जो काम मर्द करते थे हर वह काम करके दिखलाया।
मैं स्वाभिमान से जीती हूं रखती हूं अंदर खुद्दारी हूं।
मैं आधुनिक युग की नारी हूं।
मैं जिस युग में दोनों नर-नारी कदम मिलाकर चलें
उस भविष्य स्वर्ण युग की एक आशा की चिंगारी हूं
मैं आधुनिक युग की नारी हूं।
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com