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मेरा हौसला

मेरा हौसला

     

  मुझको जलन नहीं किसी से, 

पर मैं जलता रहता हूँ हरदम, 
मेरी चाहत रही है बस इतनी, 
सब के लिए जलते रहूँ हरदम। 

कुंठित रह न सके कोई मनोभाव से, 
विचलित हो न कभी कोई पश्चताप से, 
फैलाता रहूँ प्रकाश नित जन जीवन में, 
कोई क्लेश नहीं तनिक भी मेरे मन में। 

मेरी जिंदगी में कभी सरहद की माप न हो, 
 ये जिंदगी  मानवता  का अभीशाप न हो। 
स्वार्थ की बलि बेदि पर वतन बेच न देना, 
स्वहित में कहीं कुल की स्मिता बेच न देना, 

पूछो अपने आप से अपनी क्या कहानी है, 
हमारी पहचान सदासे लोगों की जुबानी है। 
जो थी कभी सद्भाव हम सभी का आपस में, 
स्वार्थ कपट धन, विद्या बुद्धि विवेक पर भारी है। 

सुख,समृद्धि और सद्भावना हम लायेंगे, 
मग संस्कृति का नया इतिहास बनाएंगे। 
जन जागृति लाने की कसम हम खाए हैं, 
अभी कुछ सोए लोगों को ही हम जगाए हैं । 

जन जागृति की मशाल को उठाने वाले, 
अडिग रहकर कब तक अलख जगाते हैं, 
देखना है संग  कौन कौन आगे आते हैं, 
मेरा  हौसला  कौन कौन  लोग बढ़ाते हैं। 


      डॉ रवि शंकर मिश्र "राकेश"
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