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‘प्रभुश्रीराम और रामराज्य आदर्शक्यों ?’ विषयपर ऑनलाइन विशेष संवाद !

‘प्रभुश्रीराम और रामराज्य आदर्शक्यों ?’ विषयपर ऑनलाइन विशेष संवाद !

भगवानको न माननेवाले कम्युनिस्ट अपना नाम भगवान के नाम पर क्योंरखते हैं ?- महंत पवनकुमारदास शास्त्रीजी, महामंत्री, अयोध्या संत समिति

श्रीरामको न माननेवाले और ‘श्रीरामभगवान नहीं हैं’, ऐसा कहनेवाले कम्युनिस्ट एवं वामपंथी विचारोंके लोग इसी काल में नहीं अपितु सत्ययुग में भी थे । हिरण्यकश्यपूने भक्त प्रल्हाद को ‘भगवान कहांहै ?’, ऐसा पूछा था । ‘हिरण्यकश्यपू ’सत्ययुग का कम्युनिस्ट ही था। सत्ययुग में भगवान खंभे से प्रगट हुए । वैसे ही वर्तमान कलियुगमें ‘राम नहीं’ कहनेवालों के लिए भगवान श्रीराम भूमि से (उत्खननसे) प्रकट हुए । कम्युनिस्ट राम को नहीं मानते, तब ‘सीताराम येचुरी’ जैसे कम्युनिस्ट स्वयंका नाम ‘सीताराम’ क्यों रखते हैं ? वे स्वयं का नाम क्यों नहीं बदलते ? अनेक कम्युनिस्ट अपने घर में देवी-देवताआें की मूर्तियां और चित्र रखते हैं और बाहर देवताआें का विरोध करते हैं, यह वास्तवकिता है । रावण ने द्वेषपूर्वक श्रीराम का नाम लिया तब भी उसका उद्धार हुआ; वैसे ही स्वयं की मुक्ति के लिए प्रयासरत कम्युनिस्टों का भी भगवान श्रीराम उद्धार करेंगे, ऐसा प्रतिपादन उत्तर प्रदेश की ‘अयोध्यासंत समिति’ के महामंत्री महंत पवनकुमारदास शास्त्री महाराजजीने किया । वे हिन्दूजनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘प्रभुश्रीराम और रामराज्य आदर्शक्यों ?’ इस ‘ऑनलाइन विशेष संवाद’ में बोल रहे थे । यह कार्यक्रम ‘फेसबुक’ और ‘यू-ट्यूब’के माध्यम से 8200 लोगों ने देखा ।

श्रीरामके अस्तित्व के संदर्भ में प्रश्‍न उपस्थित करनेवालों को उत्तर देते हुए इतिहास अभ्यासक श्रीमती मीनाक्षी शरण ने कहा कि रामायणकी ३०० से अधिक संस्करण विविधभाषाआें में प्रकाशित हुए हैं । एशिया, यूरोप सहित अनेक खंडोंमें श्रीराम के अस्तित्व के प्रमाणमिले हैं । मलेशिया जैसे इस्लामी देश में वहां के मंत्री मंत्रीपद की शपथ लेते समय श्रीराम की चरणधूलऔर पादुका का उल्लेख करते हैं । इंडोनेशिया की दीवारोंपर रामायण उकेरी गई है । बालीमें तो रास्तों, गलियों-गलियोंमें श्रीराम के संदर्भ में लिखापाया जाता है । थाईलैंड में राजा स्वयं के नाम के आगे ‘राम’ऐसा नाम लगाते हैं । वहां की पाठशाला - महाविद्यालय में रामायण पढाई जाती है और हिन्दुस्थानमें राम के अस्तित्व के संदर्भ में प्रमाण मांगे जाते हैं । यह अन्यपंथियों और कम्युनिस्टोंद्वारा हिन्दुआें में फूट डालने के लिए रचा गया षडयंत्र है । यह समझने के लिए हिन्दुआें कोअपने धर्म का अभ्यास करना चाहिए। संवाद को संबोधित करते हुए नईदिल्ली के हिन्दू जनजागृति समितिके श्री. नरेंद्र सुर्वे ने कहा कि आज हमारे धर्मनिरपेक्ष देश में श्रीराममंदिर बनाया जा रहा है; तब भी देश के मंदिरों की मूर्तियोंकी तोडफोड, हिन्दू युवतियोंकी गोली मारकर हत्या, लव जिहाद,आतंकवाद, युवकों की व्यसनाधीनता,गोहत्या, कोरोना महामारीमें रोगियों से लूटमार आरंभ है । विगत ७० वर्षों में जनता कोधर्माचरण न सिखाने के कारण यह स्थिति निर्माण हुई है । इसके विपरीत रामराज्य में कोई भी व्यक्ति दु:खी, पीडित नहीं था । सभी लोग सुखी थे; क्योंकि सभी लोग धर्माचरणी, परोपकारीऔर मर्यादाआें का पालन करनेवाले थे । इसलिए उन्हें भगवान श्रीराम जैसा आदर्श राजा मिला । हमेंभी श्रीराम जैसा आदर्श राजा चाहिए, तो हमें भी धर्माचरणऔर साधना करनी चाहिए । ऐसा करने पर केवल श्रीराम मंदिर का निर्माण ही नहीं; अपितु संपूर्णपृथ्वी पर ‘रामराज्य’ निर्माण होगा ।
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