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अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन!

अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन!

दुश्मन के एम.16 को मार.गिराया,

बैठ मिग..21 को ढाल बनाया,

दुश्मन के घर पर घुसकर,
बांधे सिर पर हे वीर कफन।

अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन!

आघात सहे, कुछ चोट सहे,
अपने दृढ़ निश्चय मे तुम डटे रहे,

जख्मी हो गए बैरी घर जब उतरे तुम,

देशप्रेम की मरहम से वो जचे रहे।

दुश्मन ने जब दी उनकी खबर,

पलक पांवड़े बैठाये रहा पूरा वतन।

अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन!
उनने अभिनंदन पर ड्रामा खेला,

शांति की बिना पर हमला, बोला,

न होगा कोई समझौता ऐसा,

चाहे बरसाना पड़े बम, शोला,

क्यों हार गया, क्यों टूट गया,

इस बार भी दुश्मन का मन,

अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन!
आज देश का वीर लाल आया,

बाघा बार्डर पर तिरंगा भूचाल लाया,

दुश्मन को खदेड़ा उनके ही घर,

क्या आकाश, क्या धरती, क्या पाताल आया,

तारे दिन मे ही निकल गये,

द्वीपों से भर गया थल और गगन।

अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन!
क्या मांताए, क्या बहिने बच्चे,

लाखों की भीड़ सच्चे, सच्चे,

सुबहा से खड़े बिन खाए पिये,

अपने भाई की दिल मे एक झलक लिए,

है आज देशप्रेम का राष्ट्र पर्व,

कर दिया हर्षित घर आंगन।

अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन!
वीरता के पर्याय बने,

तुम्हारे पापा, दादा भी,
रहे वीर सैनिक,

पत्नी भी सेना की झलक रहे,

परिवार ने तुम्हारे इतिहास रचा,

स्वर्ण अक्षरों मे है सबका नाम सजा,
वीरता को सलाम, सेना का शौर्य खिला,

और मिला राष्ट्र को नव जीवन।

_अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन!

अभिनंदन तुम हमरे माथे चंदन,

अभिनंदन तुम बरसे जैसे काले सांवन,

अभिनंदन तुम ऐसे वीर जवां,

तुम करते सारा राष्ट्र नमन,

ऐसे बरसे कि दुश्मन तरसे,

दनियां के तुम दरपन्, दरपन।

_अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन!*

राजेश लखेरा जबलपुर,
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

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