अवध के कुमार
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
अधर्म, अन्याय,अत्याचार
जब बढ़ाने लगा भु-भार
भयभीत हो प्राणी-
पूकारे प्रभु को करुण वाणी
लेना पड़ा अवतार।।
खोज-खोजकर
उपद्रवी और अधर्मी
निपटाने लगे हरेक को
बन सहधर्मी सधर्मी
दोनों अवध के कुमार।
जो ताड़का,सुबाहु को मारे थे
अहिल्या को तारे थे
पहुंचकर मिथिला में-
सीता को वामांगी स्वीकारें थे
जहां देश-देश के भुपति हारे थे
झुका था पूर्व रामका
अपराजेय कुठार।
आज घर-घर में फहरा रहा है
जिनके नाम का विमल पताका
गा रहा है जन-जन
अपूर्व कीर्ति की श्रेयसकरी गाथा
दिग् -दिगंत संसार।
रावण को मारकर
जो विभिषण को संवारा है
उस राम का नाम
निर्बल का बल सहारा है।
आओ मिलकर हमसब
राम का आदर्श धारण करें
धरती और धर्म बचाने के लिए
रण करें
एक यही आग्रह है बार-बार।
वलिदाद,अरवल (बिहार)
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