भारतीय जन क्रांति दल के राष्ट्रीय कार्यालय एवं गुजरात प्रदेश ने मनाया सावरकर जी का १३८ व जन्मोत्सव
भारतीय जन क्रान्ति दल के राष्ट्रीय कार्यालय में सावरकर जी के जन्मोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया गया कार्यक्रम में अपने कार्यकर्ताओ को बताते हुए राष्ट्रीय महासचिव डॉ राकेश दत्त मिश्र ने बताया कि सन् 1897 में महाराष्ट्र के पुना शहर में प्लेग का रोग फैल गया। इससे लाखो लोगों की जान चली गई। शहर के आसपास के गांवों में ही ये हाल था कि एक शव को जला कर आते थे तब तक चार शव और तैयार मिलते थे। लोग शवों के पास जाने से भी डरने लगे थे कि कहीं हमें भी रोक ना लग जाए। गांव में लाशें सड़ने लगी थी। शहर और गांव की दुर्दशा को देख कर एक 14 वर्ष की आयु के बच्चे से नहीं रहा नही गया उसने अपनी आयु के 10 बच्चे और इकट्ठे किए और इन्हें कहा कि देखो भयंकर रोग फैला हुआ है मरने वालों को कोई भी जलाने वाला भी नहीं है। ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है कि शवों को श्मशान में ले जाकर जलाया जाए। सभी बच्चे तैयार हो गए और एक बैल गाड़ी में कई कई शवों को रखकर ले जाने लगे। गांव में जहां से जो ईंधन मिल जाता उसे ही गाड़ी में रख कर ले जाते और शवों को जलाते थे। एक दिन जब सारा दिन शव ढोते ढोते बीत गया और रात हो गई सभी बच्चों ने कहा अब कोई शव नहीं है अब रात भर आराम करो प्रातः फिर देखेंगे। श्मशान में जाकर जो शव गाड़ी में थे उनकी चीता बनाकर आग लगा दी। सावरकर भी बुरी तरह थक चुके थे। श्मशान में पड़ी लकड़ियों के ढेर में से एक लकड़ी पर सिर रखकर लेट गए लेटते ही नींद आ गई। सब बच्चे शवों को जलता छोड़ कर अपने-अपने घरों को चले गए। परंतु सावरकर का ध्यान किसी को नहीं रहा। वह सोता ही रह गया। सब बच्चे अपने घर पहुंच गए। आधी रात के समय सावरकर के माता पिता को ध्यान आया कि हमारा बेटा कहां है सब बच्चे तो घर आ गए। वे अन्य बच्चों के घर गए तो सबने अपने भूल स्वीकार की और इकट्ठे होकर शमशान में पहुंचे इधर-उधर देखा तो सावरकर गहरी नींद में सो रहे थे। उन्होंने सावरकर को जगाया और घर चलने को कहा सावरकर उठ गए और चलने लगे तो उन बच्चों का आश्चर्य हो रहा था कि यहां कैसे सो गए इसे डर क्यों नहीं लगा हमने सुना है कि यहां तो भूत प्रेत रहते हैं। वह आदमी को मार देते हैं। उन्होंने सावरकर से कहा कि तुम्हें यहां भूतों से डर नहीं लगा यदि भूत आते तो तुम्हें मार डालते। सावरकर ने कहा कि मेरे पास कोई भूत नहीं आया। यदि आ जाते तो बड़ा अच्छा होता। सब बच्चों ने कहा कि क्या अच्छा होता हमें भी बताओ हमें तो भूतों से बहुत डर लगता है। सावरकर ने कहा कि यदि भूत आते तो मैं उनसे पूछता कि तुम अंग्रेज बहुत हो या हिंदुस्तानी बहुत हो। वे यही कहते कि हम तो हिंदुस्तानी हैं क्योंकि अंग्रेज को तो यहां जलाया नहीं जाता। फिर मैं कहता कि आप हिंदू और हिंदुस्तानी हैं तो अंग्रेज को मारो जो हमारे देश पर राज कर रहे हैं। और हमें गुलाम बना रखा है। मुझे मार कर आपको क्या मिलेगा? मैंने आपका कुछ भी नहीं बिगड़ा है और वैसे भी मै आप का भाई हूं शायद मेरी बात से वे भूत अवश्य प्रभावित होते और इन अंग्रेजों को मारते। ऐसे वीर को कुछ लोग कायर, डरपोक और माफीवीर कहते है। जिसको भी लगता है वे कायर थे पहले वह मात्र एक साल अंडमान की जेल में उसी यातनाओ के साथ रहकर दिखा दे। फिर पता लग जायेगा। कौन वीर है कौन कायर है। दो आजीवन कारावास भूगतने वाले को आजकल ये डीब्बे के दूध के वर्णसंकर बच्चे माफीवीर कहते है।
वही भारतीय जन क्रान्ति दल के गुजरात प्रदेश ने भी कार्यक्रम किया इस कार्यक्रम का आयोजन गुजरात प्रदेश कार्यालय में किया गया इस कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष सुरेश बारोट के द्वारा उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की गयी । कार्यकर्ताओ को संबोधित करते हुए श्री बारोट ने बताया कि सावरकर जी सावरकर के विचार कोई फेसबुक की पोस्ट नहीं; जो जुकरू को पसंद ना आए तो फेसबुक से मिटा दे सावरकर की आवाज सिंह की दहाड़ है जो दसों दिशाओं में गूंजी थी और यूँहीं गूँजती रहेगी| सावरकर कायर नहीं; सावरकर वीरत्व की वह नीति है जिसे वही रणवीर समझ सकता है जिसके वक्ष में राष्ट्रप्रेम के दहकते हुए अंगारे हों, जो रण क्षेत्र में शस्त्रों से सज्जित अपनी भुजाओं के द्वारा अरिदलों के मुण्डों को माँ भारती के चरणों में समर्पित करने को आतुर हो इस कार्यक्रम में पार्टी के कार्यकर्ताओ में महामंत्री निरज शाह. सचिव बीपीनचंन्द्र वाघेला. सचिव नरेश मारु. महिला मोर्चा संगीता बारोट. कैलासबेन भावसार. भावनाबेन शाह. ओर अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थें|
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