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मोदी सरकार के स्थापना दिवस पर भाजपा की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कथनी और करनी में फर्क

मोदी सरकार के स्थापना दिवस पर भाजपा की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कथनी और करनी में कितना फर्क है, इसे आज जानने की जरूरत है:-राकेश कपूर 

पटना महानगर जिला कांग्रेस कमिटी के पूर्व उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता राकेश कपूर ने बताया कि महात्मा गाँधी जी की हत्या के उपरांत 1948 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तत्कालीन गृह मंत्री श्री वल्लभ भाई पटेल जी ने प्रतिबन्ध लगा दिया था। सरसंघचालक एसएम गोलवरकर के काफी अनुनय और विनय के बाद केन्द्रीय सरकार ने इन शर्तों के साथ प्रतिबंध हटाया था कि आरएसएस अपना संविधान बनाए और उसे प्रकाशित करे, जिसमें लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव हों। इसके साथ ही संघ एक सांस्कृतिक संगठन के तौर पर काम करते हुए राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहे. हिंसा और गोपनियता का त्याग करे. भारतीय ध्वज और संविधान के प्रति वफादार रहने की शपथ लेते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास रखे।  
 लेकिन वास्तव में क्या हुआ? इन लिखित शर्तों के बावजूद संघ अब खुलकर राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने लगा है।अब तो वर्तमान केन्द्रीय भाजपा सरकार उन्हें सरकारी नीति निर्धारण बैठकों में आमंत्रित करने लगी है और वे सरकारी निर्णयों के हिस्सा बनने लगे हैं।
कांग्रेस नेता राकेश कपूर ने कहा कि यह एक खतरनाक संकेत है और यह इस धर्मनिरपेक्ष देश के लिए घातक है। देश का चौथा खंभा कहलाने वाला मीडिया भी इन्हें टीवी परिचर्चाओं में शामिल करता है और अख़बारों में प्रमुखता के साथ इनके राजनीतिक बयानों को प्रकाशित किया जाता है। 
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति करते हुए साम्प्रदायिकता का खेल, खेल रही है। यह कई बार हिंसा का कारण भी बनती है। यह देश के सामाजिक ताने बाने के लिए घातक है। ऐसे संगठन पर फिर से अविलंब प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। वर्तमान केंद्र सरकार तो इन्हें प्रतिबंधित करने से रही लेकिन राज्य सरकारों को अपने राज्यों की सुरक्षा के लिए अवश्य पहल करनी चाहिए।
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