करो खुद को किनारा
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
जब न मिल रहा हो मन,
और बढ़ रहा हो उलझन,
करो खुद को किनारा।।
न कोई समझे हकीकत,
सब मानने लगे नफरत,
करो खुद को किनारा।।
पालकर दिल में बहम,
रोज देता हो तुमको गम,
करो खुद को किनारा।।
बेवजह की हो लडाई,
न कुछ काम हो भलाई,
करो खुद को किनारा।।
हर कदम पर रख शर्त,
गढ़कर रोज नया तर्क,
करो खुद को किनारा।।
जो करना चाहते परेशान,
उन पर मत रखना ध्यान,
करो खुद को किनारा।।
ये है दुनिया की रीत,
यहां सब है मतलब हित,
करो खुद को किनारा।।
यहां पर हैं जीतने लोग,
सब पाले हैं शंका रोग,
करो खुद को किनारा।।
मत बऩे रहो गुमशुम,
ये आदत कुत्ते की दुम,
करो खुद को किनारा।।
तुम दो अपनी परिभाषा,
दिखाकर भाव नई भाषा,
करो खुद को किनारा।।
वलिदाद अरवल ( बिहार)
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