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पत्रिका के सन्दर्भ में साहित्यकारों के विचार |

दिव्या रश्मि भारत की श्रेष्ठ पत्रिका
भारतीय संस्कृति ,संस्कार ,सहित्य एवं शिक्षा के विभिन्न पहलुओं को पर्यावरणीय गुणों से मर्यादित कर स्वराष्ट्र से परराष्ट्र तक परोसने वाली यह दिव्यरश्मि मासिक पत्रिका सात वर्षों से अविरल सेवा में समर्पित है ।साहित्य और संस्कृति के विविध आयामों के अनछुए पहलुओं को उजागर करने के साथ विश्व ख्याति लब्ध लेखकों ,रचनाकारों ,कवियों भाषाविदों को अपने आगोश में समेटे विकास के उत्तुंग शिखर पर अविरल विराजमान हो रहा है ।भारतीयता के रंग से सम्पूर्ण राष्ट्र को रंगने के इसके प्रयास प्रसंसनीय रहे हैं। इसके लेख शिक्षाप्रद तो होते ही हैं मार्गदर्शक भी होते हैं ।कुल मिला कर पत्रिका संग्रहनीयता गुणों से सम्पन्न है ।कम ही दिनों में इसने साहित्य जगत के विस्तारित आसमान में अपना स्थान सुरक्षित कर रखा है ।
इसके संपादक संपादन कला में निष्णात संपादकीय गुणों के पुरोधा साहित्य के सजग प्रहरी शिक्षा के सूत्र विनायक डॉ राकेश दत्त मिश्र  जी ने इसके विकास में कुछ उठा नहीं रखा है ।इस कोरोना काल के महामारी- विसात पर भी अपने पठकों को वार्षिक कार्यक्रम से निरास नहीं होने दिया है ,यह स्तुत्य है ,प्रशंसनीय है ।
इसके विकास की अहर्निश कामना और इसके संपादक डॉ राकेश भारतीय जी को बहुत-बहुत बधाई !
डॉ सच्चिदानन्द प्रेमी
संपादक,आचार्यकुल,मासिक
वाराणसी,
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