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दे दिया उसने है ईट गारा मुझे

दे दिया उसने है ईट गारा मुझे 

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मिल गया साथ जब से तुम्हारा मुझे 
जिंदगी तूने हर पल संवारा मुझे

नाव मेरी भंवर में फसी जब कभी  
पार तुमने ही आकर उतारा मुझे 

मन भटकने लगा जब इधर से उधर  
आंख का दे दिया बस इशारा मुझे 

देखते-देखते घर ये कब बन गया 
दे दिया है उसने  ईट गारा मुझे 

खाली झोली मेरी उस पल भर गई
जब मिला आपका नेह सारा मुझे

भाव सद्भाव का कौन रखता है यहाँ 
एक तेरा  ही रहता  सहारा मुझे 

पास उनके यथा शीघ्र पहुंचा सदा 
प्यार से जब किसी ने पुकारा मुझे 

जन्म पाया  यहां व खेला-कूदा यहीं  
'जय'यही चमन सबसे है प्यारा मुझे   
                      *
~जयराम जय 
पर्णिका'11/1,कृष्ण विहार ,आवास 
विकास,कल्याणपुर,कानपुर-208017(उप्र)
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