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अपनी भूमि पर नाज था

अपनी भूमि पर नाज था

महारानी लक्ष्मीबाई के स्मृति में रचित और समर्पित।
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          ---:भारतका एक ब्राह्मण.
            संजय कुमार मिश्र 'अणु'
जब हमारे देश में अंग्रेजों का राज था।
आपसी मतभेद में उलझा समाज था।१।
लोग हो कायर-कृतघ्न जब चुप थे।
तब एक तबका उससे बिल्कुल नाराज था।२।
भले सब मौन होकर देखते थे दिशा-
इसका मतलब ये नहीं कि सब दगाबाज था।३।
सोचते थे लोग ये सब कैसे कैसे हो गया-
देश सेवा सोचा नहीं ऐसा कुछ गृहकाज था।४।
लक्ष्मी उठी कृपाण लेकर करने को सामना-
जबकि झांसी हो गई उस वक्त बेताज था।५।
साहस से थी बढ चली वह रण को जीतते-
वीरगति वह पा गई अपनी भूमि पर नाज था।६।
           वलिदाद,अरवल (बिहार)
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