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किसी ने अफवाह उड़ाई|

किसी ने अफवाह उड़ाई|

किसी ने अफवाह उड़ाई, और हमने मान लिया,
बिना सच जानें झूठ को, सच हमने मान लिया।
है अजब सी प्रवृत्ति, अपनी कोई सोच नहीं है,
पूरब को पश्छिम बताया, यह भी हमने मान लिया।

पहले कहा वैक्सीन भाजपा की, हम नहीं लगवायेंगे,
वैक्सीन से नपुंसकता बढ़ेगी, बच्चे नहीं हो पायेंगे।
भड़काने वाले चुपचाप जा, खुद वैक्सीन लगवा आये,
कह रहे जनता में जाकर, वैक्सीन लगवाई मर जायेंगे।

पच्चीस करोड़ से अधिक, अब तलक तो लग गई,
कोई बताये सांस कितनी, जनता की यहां घट गई।
कब- कहां- कैसे मरोगे, कोई नहीं यह जानता,
मौत से इतना डरोगे, जान लो जिंदगी सिमट गई।

अ कीर्ति वर्द्धन
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