भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चन्द्र पोद्दार ने मनाया रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि , चित्र पर किया माल्यार्पण |
झारखण्ड ब्यूरो श्रीनिवास सिंह से प्राप्त खबर
1857 भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महानायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चन्द्र पोद्दार ने उनके चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी ।
इसी प्रकार भारतीय जन महासभा के देश के कोने-कोने से अनेक लोगों ने विभिन्न स्थानों पर झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी ।
श्री पोद्दार ने झांसी की महारानी लक्ष्मी बाई के अंतिम समय की घटना का जिक्र करते हुए बताया कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम अपने अंतिम चरण में था ।
रानी ने घमासान युद्ध से फिरंगियों के पैर उखाड़ दिये थे ।
रानी ने नाले को लांघने के लिए अपने घोड़े को बहुत ललकारा । लेकिन घोड़ा कूद न सका । वहीं कहीं एक अंग्रेज रानी की टोह में छिपा बैठा था । रानी का ध्यान उधर न था । रानी तो नाला पार करने का रास्ता खोज रही थी । अंग्रेज ने रानी पर वार कर दिया । शस्त्र रानी के गालों को चीरता हुआ चला गया किंतु उस मर्दानी ने हिम्मत नहीं छोड़ी । उस नमक हराम के ऊपर रानी ने अपनी कटार इस प्रकार फेंकी और उसके प्राणों को हर लिया ।
लक्ष्मीबाई अंतिम सांस ले रही थी । महारानी ने बिखरती आवाज में रघुनाथ सिंह और रामचंद्र से कहा -- वीरवर मेरे पीठ पर से दामोदर को खोलो और इसे लेकर शीघ्र ही सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाओ और इस बात का ध्यान रहे मेरे मृत शरीर को अपवित्र अंग्रेज के हाथ न लग पाये । उनका यही अंतिम आदेश था ।
हर हर महादेव , जय मातृभूमि , जय जय हरि ,,,,,, बोलते हुए उन्होंने अपना नश्वर शरीर छोड़ दिया । रघुनाथ सिंह और रामचंद्र की आंखों से अश्रु धारा बह निकली । राव साहब सिसकते हुए कहने लगे तात्या , अपनी ज़िद्दी मनु कैसी शांति में सोई पड़ी है । मनु ने आज की प्रतिस्पर्धा में भी हमें हरा दिया ।
बाबा गंगादास की कुटिया समीप थी । वे कुटिया से निकले और थोड़ी सी लकड़ी लेकर चिता को सजाया । मंत्रोच्चार के बाद कुटिया से सभी बाहर निकल आए । फिर कुटिया को आग लगा दी । कुटिया धू-धू कर जल उठी । अब रानी की अस्थि शेष रह गई थी ।
श्री पोद्दार ने देशवासियों से अपील की है कि झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन से हम सभी को प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए ।
भारतीय जन महासभा के लोगों के द्वारा देश के विभिन्न राज्यों के अनेक स्थानों पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि मनाई गई ।
उन राज्यों के नाम है -- हरियाणा , नई दिल्ली , उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र , बिहार व झारखंड ,प० ब० ।
इसके अलावा विदेश में सिंगापुर में भी झांसी की रानी की पुण्यतिथि मनाई गई ।
इस पुण्यतिथि मनाने के कार्यक्रम में 34 से भी ज्यादा लोगों ने भाग लिया ।
भारतीय जन महासभा के जिन लोगों ने झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर पुष्पांजलि कर उन्हें अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की उनमें श्री पोद्दार के अलावे उनका पोता नभ्य पोद्दार उपाख्य 'लिटिल' , गुरुग्राम (हरियाणा) से डॉ प्रतिभा गर्ग , जमशेदपुर से अरविंदर कौर , सरायकेला-खरसावां से प्रकाश मेहता एवं उनकी पत्नी , पुणे से ऐशिका पांडेय , जमशेदपुर से श्री राजेंद्र कुमार अग्रवाल , कोलकाता से अरुण अग्रवाल , मेरठ से लक्ष्मी गोसाई , मेघालय से डॉ अवधेश कुमार अवध , सिंगापुर से श्रीमती बिदेह नंदनी चौधरी , प्रयागराज से मधु शंखधर स्वतंत्र , जमशेदपुर से संदीप कुमार , श्रीमती नीता सागर चौधरी ,
बड़हिया जिला लखीसराय (बिहार) में भी अनेक लोगों के द्वारा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि मनाई गई ।
इस सारे आयोजन में लखीसराय के पीयूष कुमार झा जी का महती योगदान रहा ।
डा रामरूप दास, माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला संयुक्त सचिव डा राम प्रवेश सिंह, श्रीनिवास रामानुजन कोचिंग के संचालक राजू कुमार,
प्रतिभा चयन एकता मंच के सचिव पीयूष कुमार झा, स्मिता कुमारी , केतन कुमार सहित दो दर्जन छात्र- छात्राएं उपस्थित थे ।
इस अवसर पर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान रचित झांसी की रानी कविता पर विस्तृत जानकारी पीयूष कुमार झा के द्वारा प्रस्तुत की गयी । उपस्थित सदस्यों के द्वारा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया गया ।
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