पत्थरों के शहर में भी, कच्चे घर बनाये रखना,
पत्थरों के शहर में भी, कच्चे घर बनाये रखना,
ताज़ी हवा के लिए, खिड़कियाँ लगाए रखना।
यूँ तो पत्थर दिल होने लगे, शहर में रहने वाले,
रिश्तों के दरमियां, इंसानियत जगाये रखना।
ख़त्म होने लगे सम्बन्ध, अर्थ की नीव पर जब,
संबंधों के अर्थ को, परिवार में बचाये रखना।
होने लगे माँ बाप जुदा, पत्थरों के शहर में,
कच्चे घरों में उनका आशीर्वाद महकाए रखना।
बनते हैं मकां पत्थरों के, शहर में, पत्थर दिलों के,
मकानों के बीच कहीं, एक घर बनाये रखना।
टूटता बिखरता कोई इंसान, निकले किसी मकान से,
आँगन में उसको भी, इज़्ज़त से बैठाये रखना।
देखते हैं हिकारत से जिसे, पत्थर के मकां वाले,
कच्चे घर को पर्यावरण का पैरोकार बनाये रखना।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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