"न जाने कौन नाता है"
घिरे हैं मेघ सावन के
किया नर्तन फुहारों ने,
बरसते जा रहे अविरल
कहा स्वागत बहारों ने।
पवन पावन भी मनभावन
मधुर संगीत गाता है,
थिरकती है लता प्यारी
न जाने कौन नाता है?
हरी धरती सजी न्यारी
सलोने श्याम आए हैं,
मधुर जलधार बरसा कर
जगत का सुर मिलाए हैं।
नवल रस गीत में भर कर
पखेरू गुनगुनाते हैं,
तृषित चातक हुए हर्षित
जलद को कुछ सुनाते हैं।
रजनीकांत।
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