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नित्य साधना करने से शाश्‍वत विकास संभव !

‘महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय’ द्वारा ‘व्यवसाय और व्यावसायिक पद्धति’  
विषय पर शोध इंग्लैंड की अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में प्रस्तुत !

नित्य साधना करने से शाश्‍वत विकास संभव !

       शाश्‍वत विकास और व्यावसायिक सामाजिक दायित्व के भी परे ‘आध्यात्मिक परिणाम’ नामक एक सूत्र है । नए उत्पादनों की एवं सेवाआें की निर्मिति करते समय उसका विचार करना अत्यंत आवश्यक है । उद्योग और उपभोक्ता इन दोनों घटकों को इस विषय का भान रहना आवश्यक हैक्योंकि निरंतर नकारात्मक स्पंदनों के संपर्क में रहने पर उनका व्यक्ति पर अनिष्ट परिणाम होता है । परिणामस्वरूप समाज की हानिसाथ ही वातावरण में आध्यात्मिक प्रदूषण होता है । इससे हमारा रक्षण होने के लिए नित्य साधना करना यही उपाय हैऐसा प्रतिपादन ‘महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय’ के श्रीशॉन क्लार्क ने किया । वे 21 जुलाई 2021 को आक्सफर्डइंग्लैंड में आयोजित ‘दी सिक्सटींथ इंटरनेशनल कॉन्फ्रेन्स ऑन इंटरडिसिप्लीनरी सोशल साइन्सेस’ इस वैज्ञानिक परिषद को संबोधित कर रहें थे । इस परिषद का आयोजन ‘दी इंटरडिसिप्लीनरी सोशल साइन्सेस रिसर्च नेटवर्क एंड दी कॉमन ग्राऊंड रिसर्च नेटवर्कसयुके’संस्था ने किया था । उन्होंने ‘हाऊ कॉर्पोरेशन्स अफेक्ट सोसायटी एट अ स्पिरिच्युअल लेवल’ यह शोधनिबंध प्रस्तुत किया । इस शोधनिबंध के  लेखक महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉआठवलेजी और सहलेखक विश्‍वविद्यालय के श्रीशॉन क्लार्क हैं ।  

       महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा वैज्ञानिक परिषद में प्रस्तुत किया गया यह 75 वां शोधपरक लेख था । इससे पूर्व विश्‍वविद्यालय द्वारा 15 राष्ट्रीय और 59 अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में शोधनिबंध प्रस्तुत किए गए हैं । इनमें से अंतरराष्ट्रीय परिषदों में विश्‍वविद्यालय को ‘सर्वोत्कृष्ट शोधनिबंध’ पुरस्कार प्राप्त हुआ है ।

       तदुपरांत श्रीक्लार्क द्वारा ‘महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय’ की ओर से ‘युनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ का उपयोग कर किए गए विपुल शोध में से प्रयोगों के संदर्भ में जानकारी दी । प्रथम प्रयोग परिधान पर था । इस प्रयोग में एक महिला ने निम्न प्रकार के परिधान क्रमशप्रत्येक 30 मिनिट पहने थे । - 1. ‘व्हाईट इविनिंग गाऊन’ (पैरों तक लंबा सफेद चोगा), 2. ‘ब्लैक ट्यूब टॉप ड्रेस’ (‘ऑफ शोल्डर’अर्थात कंधो से खुला काले रंग का पश्‍चिमी परिधान), 3. काला टी-शर्ट और काली पैन्ट, 4. सफेद टी-शर्ट और सफेद पैन्ट, 5. सलवार-कुर्ता, 6. छह गज की साडी और 7. नौ गज की साडी । महिला द्वारा प्रत्येक परिधान पहनने के पूर्व और पश्‍चात उसका ‘यूएएस’ उपकरण द्वारा परीक्षण किया गया । उस महिला द्वारा पहने प्रथम परिधानों से उसकी नकारात्मक ऊर्जा में अत्यधिक वृद्धि हुई थी । तदुपरांत उसके द्वारा पहने परिधानों के कारण उसकी नकारात्मक उर्जा अत्यधिक अल्प हुई । परिधान क्र. 3 और एकसमान थेकेवल रंग का भेद थातब भी महिला द्वारा परिधान क्र. 3 (काले रंग का परिधानपहनने पर परिधान क्र. 4 की तुलना में उसमें अत्यधिक मात्रा में नकारात्मक उर्जा उत्पन्न हुई जो विशेषतापूर्ण है । महिला में सकारात्मक उर्जा केवल अंतिम परिधान पहनने पर दिखाई दी । इस प्रयोग से ध्यान में आता है किपरिधान के प्रकार और रंग का व्यक्ति पर आध्यात्मिक (उर्जा केस्तर पर परिणाम होता हैपरंतु परिधान बनानेवाले प्रतिष्ठान और संबंधित व्यवसायी (फैशन डिजाइनरइससे पूर्णतः अनभिज्ञ है । दूसरे प्रयोग में चार प्रकार के संगीत का व्यक्ति पर होनेवाला परिणाम यूएएस उपकरण की सहायता से जांचा गया ।


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