वे सब पर बीस पड़ते हैं
जो दिखते हैं सर्वसाधारण
पर करते कुछ असाधारण
न बढ़-चढ़ बात करते है
वे सबसे बीस होते हैं।
न पद, पैसे की सवारी
नहीं किसी की उधारी
न कोई हो लाचारी
वे सबसे बीस होते हैं।
हो, न हों बहुत से मित्र
संयत हो जिनका चरित्र
बस भाव हों पवित्र
वे सबसे बीस होते हैं।
न किसी से दुराशा
नहीं कोई प्रत्याशा
न हताशा, न निराशा
वे सबसे बीस होते हैं।
न दंभ, न ही खुदगर्जी
न थोपना अपनी मर्जी
न अनुकृति की फर्जी
ये खुद नफीस होते हैं।
दर्शन में जिनके मौलिकता
नहीं प्रतिकृति की हीनता
न आदर्श की छायावादिता
वे योगी, प्रतीश होते हैं
न उक्ति में हो भुक्ति
न चाह में हो मुक्ति
भरी जिनमें सद्युक्ति
ये 'यतीश' होते हैं।
प्रतिभा नहीं हो दासी
मन में नहीं उदासी
काबा रहें कि काशी
ये 'कवीश' होते हैं।
न पूर्वग्रह न प्रतिग्रह
बस अनुग्रह ही अनुग्रह
नहीं कोई दुराग्रह
जो सबसे बीस होते हैं।
हैं जो ईश के बड़भागी
बस उन्हीं के अनुरागी
यथा ध्रुवतारक त्यागी
वे सब पर बीस पड़ते हैं।
© राधामोहन मिश्र माधव
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com