कलाम साहब की पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धा सुमन
2004 में लिखी डॉ कलाम की जीवनी पर आधारित यह रचना, इसके आधार पर ही मेरी पहली पुस्तक का नाम था "मेरी उड़ान" तथा यह रचना उस पुस्तक की प्रथम रचना थी। आज पुनः प्रस्तुत है कलाम साहब को श्रद्धा सुमन के रूप में ---
अग्नि की उड़ान...
इतिहास के पन्नों मे
चंद ही लोग
जमीन से उठकर
आकाश पर छाये हैं,
अन्यथा
वही राजा महाराजा
रंग रूप बदलकर
सत्ता शीर्ष पर आये हैं।
आप धरा पुत्र हैं,
आम आदमी के सुख -दुःख के
प्रतीक हैं।
आपने देखा है जीवन को करीब से,
शिक्षा का मकसद सिखा है रकीब से,
पंडित से सीखी ज्ञान की बातें,
मौलवी से पढ़ी कुरआन की आयातें,
परिदों से सिखा आज़ादी का मतलब,
पक्षी शास्त्री से सिखा धर्मनिरपेक्षता का अर्थ।
सच मानों जब से मैं
अग्नि मे उड़ा हूँ,
मैंने पाया अपने अन्दर
एक विस्तृत आकाश,
जहाँ छुपा था
मेरे बचपन के सपने का राज
"हर इंसान मे देश भक्ति का जज्बा होगा
सम्पूर्ण विश्व पर मानवता का कब्ज़ा होगा।"
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