धर्मस्थल को क्षुद्र राजनीति का अड्डा न बनाएं।
पटना जिला सुधार समिति के महासचिव व इंका नेता राकेश कपूर ने गुरूद्वारा में घट रही अशोभनीय घटनाओं पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पटना साहिब गुरूद्वारा पर पंजाब के सिखों द्वारा पुनः कब्जा करने का प्रयास निन्दनीय है ।
उन्होंने कहा कि सिखों के दूसरे सबसे बड़े धार्मिक तख्त श्री गुरूगोबिन्द सिंह जी महाराज की जन्म स्थली पटना साहिब गुरूद्वारा राजनीति का रणक्षेत्र बन गया है। यहाँ प्रबन्धक कमिटी के आपसी विवाद के कारण तलवार बाजी से लेकर पत्थर बाजी आम बात हो गई है। धार्मिक स्थलों पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली घटनाओं के होने से श्रद्धालुओं को ठेस तो पहुंचती ही है, साथ ही साथ स्थल की मर्यादा भी घटती है।
धर्म को राजनीतिक चश्में से देखना ठीक नहीं है।
राकेश कपूर ने कहा कि सिखों की राजनीति में गुरुद्वारों का विशेष महत्व है। यहीं से इनकी ज्यादातर राजनीतिक गतिविधियाँ संचालित होती हैं। इसपर कांग्रेस और अकालियों का ही वर्चस्व रहा है। वैसे भाजपा की कोशिश भी जारी है। बिहार की डबल इंजन की सरकार ने बिहार गुरूद्वारा एक्ट लागू करने की बात कही थी।
वैसे 80 के दशक में पटना साहिब गुरूद्वारा पर पंजाब के सिखों ने अकालियों के सहयोग से निर्लेप कौर के नेतृत्व में कब्जा कर उन्हें गुरूद्वारा प्रबन्धक कमिटी का अध्यक्ष बनाया था और उसके बाद से ही अकालियों की मंशा इस तख्त पर कब्जे की बनी हुई है।
वर्तमान में अकाली दल पंजाब की राजनीति में कमजोर पड़ने के कारण इस दूसरे सबसे बड़े तख्त श्री हरमिंदर जी गुरूद्वारा पटना साहिब पर कब्जा कर अपनी राजनीतिक पैठ का संदेश पंजाब में देना चाहती है।
सुधार समिति के महासचिव राकेश कपूर ने बिहार झारखंड व पटना साहिब के सिखों से अपील करते हुए अनुरोध किया है कि धर्म की आड़ में राजनीतिक रोटी सेंकने वालों का डटकर विरोध करते हुए गुरूद्वारा पटना साहिब की मर्यादा बचाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करें।
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