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मेरा सावन सूना है

मेरा सावन सूना है 

जमके बरस रहा है पानी
मेरा सावन सूना है 

मन मुंडेर पर कागा बोले
पल-पल याद सताए 
कजरारे नयनों का काजल  
झर-झर बहता जाए 

तुम तो जा परदेश बस गये 
दर्द हृदय का दूना है 

चुपके-चुपके पुरवा आ के   
दिल की खिड़की खोले
खुसुर-पुसुर बूँदों से बतिया
कानों में रस घोले 

नस-नस में है नशा छा गया 
किन्तु पास में तू ना है 

रंग बिरंगे इन्द्रधनुष से
रंग नेह के ले-ले
बिजुरी के संग रास रचाए
मेघा इत-उत डोले 

बहके मौसम में तेरे बिन 
पल-पल मरना-जीना है 

मन-ऑगन में स्मृतियों की 
खुशबू है भर जाती 
छत पर आके रात चाँदनी 
तन को है दहकाती 

तारों की बारात सजी पर
मुश्किल चंदा छूना है 

जमके बरस रहा है पानी
मेरा सावन सूना है
        *
~जयराम जय 
'पर्णिका,'बी-11/1,कृष्ण विहार आवास विकास,
कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ प्र)
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