मुंशी प्रेमचंद
कथा और उपन्यास के सम्राट प्रेमचंद !
साहित्य में व्यक्तित्व के विराट प्रेमचंद !
लमही का लाल ऊँचा भाल कर दिया ।
लेखनी से तूने कमाल कर दिया ।।
शांत सहज सौम्य तू विभ्राट प्रेमचंद !
साहित्य में व्यक्तित्व के विराट प्रेमचंद !
कलम के सिपाही शब्दों के जादूगर ।
हर शब्द-शब्द छूता हर एक का जिगर ।।
तू खोल दिया काल का कपाट प्रेमचंद !
साहित्य में व्यक्तित्व के विराट प्रेमचंद ।।
लेखनी में तेरी औकात है इतनी ।
हर पाठक की बीती हर बात है अपनी ।
पढ़ते हैं पृष्ठ-पृष्ठ चाट-चाट प्रेमचंद !
साहित्य में व्यक्तित्व के विराट प्रेमचंद !
गोदान गवन रंगभूमि कर्मभूमि है ।
रचना तुम्हारी पढ़ के दुनिया भी झूमी है ।।
अब भी न तेरी लेखनी का काट प्रेमचंद !
साहित्य में व्यक्तित्व के विराट प्रेमचंद !
वर्णन है शदी पूर्व के जैसा समाज का ।
दिखता है हू-ब-हू वही परिदृश्य आज का ।।
खींचा है शब्दचित्र क्या सपाट प्रेमचंद !
साहित्य में व्यक्तित्व के विराट प्रेमचंद !
झोंपड़ी गरीब की है घास-फूस की ।
बिन वस्त्र के गुजरती है रात पूष की ।
होती नहीं नशीब टूटी खाट प्रेमचंद !
साहित्य में व्यक्तित्व के विराट प्रेमचंद !
ढकने को लाश मिलता दो गज नहीं कफ़न ।
अरमान जिंदगी के सब हो रहे दफन ।।
होती है अमीरों की क्या ठाट प्रेमचंद !
साहित्य में व्यक्तित्व के विराट प्रेमचंद !
सुराज सूरदास जिसे नैन नहीं है ।
आमजन को आज भी चितचैन नहीं है ।
घूमता बेचैन घाट-घाट प्रेमचंद !
साहित्य में व्यक्तित्व के विराट प्रेमचंद !
अब रेप की हुई चुनियाँ की लाश लटकती ।
कहने में कुछ समाज की है साँस अँटकती ।।
देख-देख दिल हुआ उचाट प्रेमचंद !
साहित्य में व्यक्तित्व के विराट प्रेमचंद !
काश ! तेरे खास हम दर्शन कहीं पाते !
फिर से कलम चलाने एकबार तो आते ।।
सब जोह रहे तेरी ही वाट प्रेमचंद !
साहित्य में व्यक्तित्व के विराट प्रेमचंद !
चितरंजन 'चैनपुरा' , जहानाबाद, बिहार,
804425
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