मैं यूं ही बस मुस्कराता
मैं यूं ही बस मुस्कराता, गुनगुनाता हूं,
मुश्किलों के बीच भी, खुश हो जाता हूं।
चाहत नहीं मुझको मिलें दौलत जहां की,
जो भी मिला मुकद्दर मान खिलखिलाता हूं।
आज पौधे रोपकर, खुश हूं बहुत,
कुछ पुराने देखकर, खुश हूं बहुत।
कल बड़े हो, वृक्ष यह बन जायेंगे,
आज ही यह सोचकर, खुश हूं बहुत।
आज हमने कैंथ बरगद महुआ लगाए,
शहतूत कटहल शमी चांदनी के लगाए।
नीम पीपल गुलमोहर सी छाया मिले,
बस यही सोचकर कुछ कदम्ब लगाए।
हो सके तो आप भी कुछ कीजिए,
कुछ पौधे धरा पर आप रौप दीजिए।
पशु पक्षी परिंदों को कुछ राहत मिलेगी,
बच्चों को शुद्ध स्वच्छ वातावरण दीजिए।
अ कीर्ति वर्द्धन
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com