यादों का कारवां
बाल्यकाल की वह अठखेलियां
उन्मुक्तता की सुंदर पहेलियां
निश्छल मन की वो सहेलियां
अंतःकरण निर्मल करती बेलियां
उम्र के पड़ाव आते गए
जिम्मेदारियां लाते गए
चित्त को बहलाते गए
वयस्कता हम पाते गए
यादों का कारवां कुछ ऐसा चला
जैसे उमंगों का हिलोरा उठा
चित्त अन्यमनसका सा मनचला
जागरुक हो फिर इंसान उठा।
डॉ राखी गुप्ता
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