कारण क्या है?
इज्जत, जान, धन दांव लगे हैं,
विज्ञजन यहाँ मौन खड़े हैं।
क्या कारण कोई समझ रहा नहीं,
या समझ, बूझ अंजान बने हैं ।।
है कारण क्या, कोई तो समझे
कामचोरी और हरामखोरी के,
धंधे यहाँ बेजोड़ बढ़े हैं,
हिंसा, भ्रष्टाचार, अनीति ,
देख आज ये शीर्ष चढ़े हैं ।।
है कारण क्या........
शिक्षा और चिकित्सा का यहां
बेलगाम व्यापार बढ़ा है।
नेता, अफसर, अपराधी से
कहो कौन आज नहीं डरा है?
है कारण क्या.........
युवा वर्ग का भ्रमित "विवेक" है,
नशा ही उसका काम नेक है।
नहीं सुरक्षित महिलाएं हैं,
विधि- व्यवस्था पर न टेक है।
है कारण क्या.........
देख जनतंत्र का काम कमाल,
मुश्किल में जनतंत्र को डाल।
सच्चे मारे - मारे फिरते,
लुच्चे पहने हैं गलमाल।।
है कारण क्या.........
डॉ.विवेकानंद मिश्र,
डॉ.विवेकानंद पथ गोल बगीचा, गया (बिहार)
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