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कहाँ दाग है

कहाँ दाग है

कवि होता है दर्पण केवल,
जो हो तुम,दिखलाएगा।
कहाँ दाग है, कहाँ आग है,
वह केवल बतलाएगा।
तुमपर निर्भर करता है कि
क्या करते तुम उसके साथ।
कर देते हो उसे दूर या
रखते हो तुम अपने पास।
-मिथिलेश कुमार मिश्र 'दर्द'
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