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चाहिये

चाहिये

काली नहीं, कलुटी  नहीं,
मोटी नहीं, नाटी नहीं ,
हमको तो रुपवती गुणवती,
एक श्रीमती चाहिये।
   काली नहीं कलुटी नहीं...।

ससुर मेरा धनवान,
सास मेरी गुणवान,
शाला की कोई चाह नहीं,
शाली दो चार चाहिये।
   काली नहीं,कलुटी नहीं...।

रुपया नहीं,पैसा नहीं,
धन नहीं,दौलत नहीं,
हमको तो टीवी,फ्रीज,गोदरेज,  एक मोटरकार चाहिये।
   काली नहीं,कलुटी नहीं...।

गर कोई ऐसा परिवार मिले,
पत्नी का प्यार मिले,
शीध्र हीं मुझे,
उसका पत्ता बतलाईये।
    काली नहीं,कलुटी नहीं...।

बताने वाले को उचित कमीशन,
इज्जत और शोहरत मिशन,
गर कोई मुल्ला हो,
उनको यहाँ लाईये।
    काली नहीं,कलुटी नहीं...।
      -----0----
           अरविन्द अकेला
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