"मगही-धारा"
जंतर मंतर घोंघा साड़ी
भवन में पहुँचल ट्रेक्टर गाड़ी,
तू तू मैं मैं शोर हे कइसन
तीरंदाज ही, ना ही अनाड़ी।
हम ही सबसे बेस जुगाड़ी
हमरा ला हे खुलल केवाड़ी,
टीम हमर सतरंगी देख
एक से बढ़के एक खेलाड़ी।
धोकड़ी में हे भरल सोपाड़ी
कुछ हे अगाड़ी कुछ हे पिछाड़ी,
मत समझ बुड़बक तू हमरा
बाँट रहल ही रोज दिहाड़ी।
धयेले ही कमजोर ई नाड़ी
भर के रहब अब कोठी भाँड़ी,
देख रहल ही ताड़ पर चढ़के
लभनी में भर गेल हे ताड़ी।
रजनीकांत।
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