उत्तराखंड में हिन्दुओं की भूमि पर अतिक्रमण राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से संकट की पूर्वसूचना ! - अधिवक्ता उमेश शर्मा, सर्वोच्च न्यायालय
उत्तराखंड में हिन्दुओं की भूमि पर योजनाबद्ध रूप से अतिक्रमण किया जा रहा है । मुसलमान अनेक स्थानों पर हिन्दुआें की और सरकार की भूमि अवैध रूप से हडप रहे हैं । समय पर ही पुलिस-प्रशासन में परिवाद (शिकायत) प्रविष्ट कर इसे रोका जा सकता है । उत्तराखंड में हिन्दुओं की भूमि पर योजनाबद्ध अतिक्रमण हिन्दुओं के लिए संकट की पूर्वसूचना है । उत्तराखंड राज्य की सीमा नेपाल और चीन की सीमा से लगी हुई है, इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी यह अत्यंत संवेदनशील है, ऐसा प्रतिपादन सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता उमेश शर्मा ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘देवभूमि उत्तराखंड के इस्लामीकरण का षड्यंत्र !’ इस ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में बोल रहे थे । इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण समिति के जालस्थल (वेबसाईट) Hindujagruti.org, यू-ट्यूब और ट्विटर द्वारा 5,500 लोगों ने देखा ।
संवाद में बोलते हुए ‘विश्व हिन्दू परिषद’ के उत्तराखंड राज्य उपाध्यक्ष श्री. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, उत्तराखंड में अल्प कालावधि में मुसलमानों की जनसंख्या में 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है । हरिद्वार के पांच किलोमीटर क्षेत्र में मुसलमान नहीं रह सकते, ऐसा शासन का आदेश होते हुए भी उसका पालन नहीं किया जा रहा । देवभूमि उत्तराखंड के इस्लामीकरण का षड्यंत्र रचा जा रहा है, जिसे रोकने के लिए हिन्दू समाज को कृतिशील होना होगा । हिन्दू समाज सहित सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए । देवभूमि उत्तराखंड को कलंकित होने से बचाना होगा ! विहिंप, बजरंग दल, दुर्गावाहिनी के प्रतिनिधि इस हेतु प्रयासरत है । भारत में ‘मुसलमानों के लिए अलग कानून और हिन्दुआें के लिए अलग कानून’ यह हिन्दुआें के लिए हानिकारक है । सभी के लिए समान कानून होना चाहिए ।
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