लक्ष्य भूलना नहीं
लक्ष्यपथ पर कदम जो बढ़ा है तेरा,
याद रखना तू उसे भुलाना नहीं।
आये आंधी या कि झंझावात भी,
बीच पथ से लौटकर आना नहीं।।
मोह-माया, अपना-पराया जो घेरे,
रास्ते में कोई खजाना भी मिले।
शकुन या अपशकुन कुछ भी दिखे,
तो भी एक क्षण तू गंवाना नहीं।।
जीवन की हर सांस अनमोल है,
कोई चुनौती या अवरोध डिगा न सके।
निश्चित है सफलता लक्ष्य में गतिशीलता,
अपने चिंतन को थकाना नहीं।।
तुम्हें जीवन को देना है दिशा नई,
मन में तनिक हो न भ्रांति कहीं।
कहने को बोलो, बचा अब क्या है,
"विवेक" को छोड़ कर दूर तू जाना नहीं।।
डॉ. विवेकानंद मिश्रा,
डॉ. विवेकानंद पथ गोल बगीचा, गया (बिहार)
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